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ऋषि गंगा नदी के पास बनी झील तक पहुंची SDRF, फिलहाल खतरा नहीं

एसडीआरएफ के मुताबिक फिलहाल कोई खतरा नहीं है. एसडीआरएफ के जवानों ने अर्ली वार्निंग सिस्टम भी विकसित किया है. सतर्क एसडीआरएफ की एक-एक टीमें पैंग, तपोवन और  रैणी गांव में तैनात की गई हैं.

झील के पास पहुंची एसडीआरएफ झील के पास पहुंची एसडीआरएफ
दिलीप सिंह राठौड़
  • चमोली,
  • 13 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:09 PM IST
  • एसडीआरएफ ने बनाया अर्ली वार्निंग सिस्टम
  • पानी डेंजर लेवल पर पहुंचते ही बजेगा सायरन

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद भंयकर तबाही हुई थी. तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है, वहीं ग्लेशियर टूटने के कारण ऋषि गंगा के समीप एक झील भी बन गई जिससे खतरे का अंदेशा वैज्ञानिक भी जता चुके हैं. उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (एसडीआरएफ) के जवान शनिवार को उस जगह भी पहुंच गए, जहां झील बन गई है.

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एसडीआरएफ के मुताबिक फिलहाल कोई खतरा नहीं है. एसडीआरएफ के जवानों ने अर्ली वार्निंग सिस्टम भी विकसित किया है. सतर्क एसडीआरएफ की एक-एक टीमें पैंग, तपोवन और  रैणी गांव में तैनात की गई हैं. दूरबीन, सैटेलाइट फोन और पीए सिस्टम से लैस एसडीआरएफ की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क करने में सक्षम बताई जा रही हैं.

झील तक पहुंचे एसडीआरएफ के जवान

रिद्धिम अग्रवाल, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी और डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि एसडीआरएफ की टीमें सैटेलाइट फोन के माध्यम से संपर्क में हैं. इनकी ओर से जलभराव क्षेत्र का निरीक्षण भी किया गया, जहां झील बनी है. उन्होंने दोहराया कि झील से फिलहाल कोई खतरा नहीं है. अग्रवाल ने कहा कि यदि जल स्तर बढ़ता है, तो ये अर्ली वार्निंग टीमें तत्काल सूचना देंगी.

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एसडीआरएफ के जवानों ने विकसित किया अर्ली वार्निंग सिस्टम

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी के मुताबिक एसडीआरएफ के जवानों के इस अलर्ट सिस्टम से ऐसी स्थिति में नदी के आस-पास के इलाकों को 5 से 7 मिनट में तुरंत खाली कराया जा सकता है. एसडीआरएफ के दलों ने रैणी गांव के ऊपर से गांवों के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है. उन्होंने बताया कि दो से तीन दिन के अंदर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया जाएगा.

अग्रवाल के मुताबिक अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए जाने के बाद पानी का स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचते ही आम नागरिकों को खतरे की सूचना सायरन बजाकर दे दी जाएगी. आम नागरिकों को बचाव के लिए सतर्क कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ की टीमें इसे लेकर आसपास के गांवों में लोगों को जागरूक भी करेगी. गौरतलब है कि ग्लेशियर टूटने की घटना में 100 से अधिक लोग लापता हो गए थे.

 

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