
उत्तराखंड के चंपावत जिले में आध्यात्मिक गुरु ओशो के अनुयायी ने खुद को गोली मार ली. लखनऊ के रहने वाले 45 वर्षीय स्वामी ध्यान योगी का शव चंपावत शहर से 85 किलोमीटर दूर वारसी गुफा के पास से बरामद किया गया. पुलिस के मुताबिक वह गुफा के पास आश्रम बना रहे थे.
चंपावत के पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पिंचा ने बताया कि घटनास्थल से एक पिस्तौल और 28 जनवरी का एक बिना साइन किया हुआ सुसाइड नोट बरामद किया गया है. पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि वह डिप्रेशन से पीड़ित थे और खुद को गोली मार ली.
सात दिनों से गुफा में रह रहे थे
उन्होंने कहा कि मामले की सभी एंगल से जांच की जा रही है. वारसी गुफा के बाबा वीरेंद्र गिरि ने कहा कि ध्यानयोगी पिछले सात दिनों से गुफा में उनके साथ रह रहे थे और डिप्रेशन में थे.
क्या है घटना की पूरी कहानी
वीरेंद्र गिरि के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे स्नानागार से जोर की आवाज आई. आश्रम की दूसरी मंजिल से नीचे उतरे तो स्वामी ध्यान योगी वहां गिरे पड़े थे. पास में तमंचा पड़ा था. वीरेंद्र गिरि ने इसकी सूचना पुलिस को दी. बाबा वीरेंद्र गिरि के अनुसार, स्वामी ध्यान योगी रोज देर तक मोबाइल से बात करते थे.
पुलिस को घटनास्थल से सुसाइड नोट और 315 बोर का तमंचा, एक कारतूस का खोखा, चार जिंदा कारतूस मिला है. सुसाइड नोट में उन्होंने इसी धाम के पास समाधि बनाने को इच्छा जताई थी.
सुसाइड नोट में जताई ये इच्छा
सुसाइड नोट में उन्होंने किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया हैं. शुरू में लिखा है कि मैं भारत के संविधान को साक्षी मानकर तय कर रहा हूं कि अपनी मौत के जिम्मेदार मैं खुद हूं. जीवन से काफी परेशान हो चुका हूं. मेरी मौत में किसी का दोष नहीं है. उन्होंने लिखा है कि उनका पोस्टमार्टम न हो और उन्हें यहीं धाम में समाधिस्थ किया जाए.