
एक और जहां पूरा देश दिवाली की तैयारी में लगा था, वहीं उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा-बारकोट सुरंग में मालवा गिरने से 40 मजदूर फंस गए. इस हादसे को आज 3 दिन हो गए हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. पूरा देश इसी उम्मीद में है कि मजदूर जल्द ही सकुशल वापस निकाल आएंगे. वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बचाव अभियान और मलबा हटाने का काम तेजी से चल रहा है. खाद्य सामग्री अंदर भेज दी गई है. विशेषज्ञों से बात की जा रही है. जांच जारी है. हमारी प्राथमिकता है कि सभी को सुरक्षित बचाना है.
जिस सुरंग में ये हादसा हुआ है, उसके लिए 2018 में भारत सरकार की संस्था नेशनल हाईवे इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कॉर्पोरशन लिमिटेड और नवयुग कंपनी के बीच ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा सुरंग बनाने के लिए करार हुआ था. NH-134 पर ऑल वेदर रोड पर निर्माणाधीन टनल सिलक्यारा से डांडलगांव के बीच 4.5 किमी की है. सुरंग बनने के बाद इस टनल का फेस या मुहाने की ऊंचाई 15 फीट है और चौड़ाई 13 फीट है.
भविष्य में इस टनल को देश की सबसे हाईटेक होने का दावा किया जा रहा है. साथ ही कहा जाता है कि निर्माण के बाद यह जीरो एक्सीडेंट टनल बनेगी. सिलक्यारा-डांडलगांव के बीच बन रही सुरंग की लागत 1400 करोड़ के आसपास है. वहीं, इसके मैनेजमेंट की बात करें तो 2018 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही कर्नल दीपक पाटिल यहां डेप्यूटेशन पर रहे और उनकी डेप्यूटेशन की समाप्ति के बाद इस हादसे के बाद उन्हें फिर से बुलाया गया है.
जानकारी के मुताबिक सिलक्यारा सुरंग को बनाने के लिए करीब 800 मज़दूर काम कर रहे हैं. इस सुरंग के बनने के बाद धरासू से यमुनोत्री की दूरी 26 किमी और 1 घंटा कम हो जाएगी. फिलहाल सुरंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि सुरंग निर्माण भूस्खलन जैसे खतरे को लेकर क्या तैयारियां थीं.