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भूकंप से फिर हिला उत्तराखंड, उत्तरकाशी में था केंद्र

सोमवार सुबह करीब 3:10 पर उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसका केंद्र उत्तरकाशी जिले में 10 किलोमीटर की गहराई पर था. फिलहाल इससे जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है. 

उत्तराखंड उत्तराखंड
रणविजय सिंह
  • देहरादून,
  • 12 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:58 AM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सोमवार की सुबह को भूकंप का झटका महसूस किया गया. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.2 मापी गई. सोमवार सुबह करीब 3:10 पर उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसका केंद्र उत्तरकाशी जिले में 10 किलोमीटर की गहराई पर था. फिलहाल इससे जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है.  

इससे पहले उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में 28 दिसंबर को भी भूकंप का झटका महसूस किया गया था. उसकी तीव्रता  रिक्टर पैमाने पर 4.7 मापी गई थी. बता दें, हाल के दिनों में उत्तराखंड में लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं. इससे पहले उत्तराखंड में छह दिसंबर को भी भूकंप आया था.

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क्या है रिक्टर स्केल?

बता दें कि जितना ज्यादा रेक्टर स्केल पर भूकंप आता है, उतना ही अधिक कंपन होता है. जैसे 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर जहां इमारतें गिर जाती हैं वहीं 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

किसी भूकंप के समय भूमि के कंपन के अधिकतम आयाम और किसी आर्बिट्रेरी छोटे आयाम के अनुपात के साधारण गणित को 'रिक्टर पैमाना' कहते हैं. 'रिक्तर पैमाने' का पूरा नाम रिक्टर परिमाण परीक्षण पैमाना (रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल) है और लघु रूप में इसे स्थानिक परिमाण (लोकल मैग्नीट्यूड) है.

क्यों आता है भूकंप

धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे सेरगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर कीधरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं.

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