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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गुरुवार की सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.0 मापी गई. इसका केंद्र उत्तरकाशी जिले में 10 किलोमीटर की गहराई पर था. फिलहाल इससे जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है.
इससे पहले 12 फरवरी को भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. उसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.2 मापी गई थी.
मौसम विभाग ने जारी किया भारी बारिश का अलर्ट
वहीं, उत्तराखंड में 14 और 15 जून को भारी बारिश के आसार हैं. मौसम विभाग ने इसके मद्देनजर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. खास तौर से देहरादून, पौड़ी, नैनीताल और उधम सिंह नगर में भारी बारिश की चेतावनी है. इस दौरान 70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाओं के चलने की भी चेतावनी जारी की है. ऐसे में शासन और प्रशासन भी अलर्ट हो गया है.
क्या है रिक्टर स्केल?
बता दें कि जितना ज्यादा रेक्टर स्केल पर भूकंप आता है, उतना ही अधिक कंपन होता है. जैसे 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर जहां इमारतें गिर जाती हैं वहीं 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.
किसी भूकंप के समय भूमि के कंपन के अधिकतम आयाम और किसी आर्बिट्रेरी छोटे आयाम के अनुपात के साधारण गणित को 'रिक्टर पैमाना' कहते हैं. 'रिक्तर पैमाने' का पूरा नाम रिक्टर परिमाण परीक्षण पैमाना (रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल) है और लघु रूप में इसे स्थानिक परिमाण (लोकल मैग्नीट्यूड) है.
क्यों आता है भूकंप
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे सेरगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर कीधरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं.