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उत्तराखंड में नेपाल सीमा पर 12 हेक्टेयर नो मैंस लैंड गायब

दोनों देशों के सीमावर्ती जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक पर नो मैंस लैंड पर कब्जे की चिंता जताई गई है. अब भारत सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालय को रिपोर्ट भेजने की तैयारी है.

प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई
अंजलि कर्मकार
  • देहरादून,
  • 17 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:37 AM IST

नेपाल सीमा पर करीब 12 हेक्टेयर नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण कर लिया गया है, जिसमें दोनों ही देशों के व्यापारी और नागरिक जिम्मेदार हैं. सुरक्षा को दरकिनार कर इस जमीन पर खेती हो रही है. और तो और कहीं-कहीं पक्के निर्माण भी कर लिए गए हैं. दुस्साहसी अतिक्रमणकारी अंतरराष्ट्रीय सीमा का भूगोल बदलते रहे और दोनों ही देशों का प्रशासनिक अमला सोता रहा. अब जब जमीन ही गायब हो गई तो दोनों देशों की नींद खुली है, जो जमीन बच गई है, उस पर दोनों देशों के नागरिक खेती कर रहे हैं.

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अतिक्रमणकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा का भूगोल ही बदल दिया कर रख दिया है. नो मैंस लैंड पर कब्जे की शुरुआत कोई नई बात नहीं है. यह सिलसिला छिटपुट रूप से करीब पांच वर्ष पहले शुरू हुआ. रोक-टोक न होते देख अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हुए, तो इस साल अतिक्रमण का दायर बढ़ गया. अब चूंकी ये जमीन वन विभाग के अंतर्गत है, तो वन विभाग की चिंता की लकीर बढ़ने लगी है.

दोनों देशों के सीमावर्ती जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक पर नो मैंस लैंड पर कब्जे की चिंता जताई गई है. अब भारत सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालय को रिपोर्ट भेजने की तैयारी है.

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