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उत्तराखंड के जंगलों में आग, अधिकारियों के विदेश दौरे से वन मंत्री नाराज

उत्तराखंड के जंगल पिछले कुछ समय से आग की चपेट में हैं. लेकिन उत्तराखंड के वन विभाग के आलाधिकारियों की उदासीनता का आलम ये है कि आलाधिकारी जंगल की आग को बुझाने की रणनीति बनाने की बजाए विदेश यात्रा पर हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • देहरादून,
  • 16 मई 2019,
  • अपडेटेड 12:27 AM IST

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगी है. पूरे प्रदेश के जंगल जल रहे हैं. जंगली जानवरों के साथ-साथ इंसान भी अपनी जान बचाने में लगे हैं. लेकिन उत्तराखंड के वन विभाग के आलाधिकारियों की उदासीनता का आलम ये है कि आलाधिकारी जंगल की आग को बुझाने की रणनीति बनाने की बजाए विदेश यात्रा पर हैं. वो भी वन मंत्री को बगैर बताए. इस पूरे मामले की जानकारी सामने आने के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत ने भी काफी नाराजगी जताई है.

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एक चिट्ठी के जरिये वन मंत्री ने अपने गुस्से का इज़हार किया है. साथ ही सभी आलाधिकारियों को तुरंत वापस आने का फरमान जारी कर दिया है.

आपको बता दें कि उत्तराखंड के जंगल पिछले कुछ समय से आग की चपेट में हैं. आग की लपटों की आंच अब उत्तराखंड शासन तक भी पहुंच गयी है. ऐसे समय में वन विभाग के चार जिम्मेदार अफसरों के विदेश दौरे पर जाने और वन मंत्री हरक सिंह रावत को इसकी जानकारी न होने से मामले ने तूल पकड़ लिया है.

हरक सिंह रावत ने प्रमुख वन संरक्षक जयराज के विदेश जाने को लेकर नाराजगी जताई है. इस मामले में वन मंत्री ने पत्र लिखकर कार्मिक सचिव को सूचित किया है.

अपनी नाराजगी जताते हुए हरक सिंह रावत ने कहा है कि प्रमुख वन संरक्षक जिनके पास पूरे विभाग की जिम्मेदारी है वो विदेश चले जाते हैं और वन मंत्री को इस बात का पता तक नहीं होता है. कार्मिक सचिव को लिखे पत्र में नाराजगी जताते हुए वन मंत्री हरक सिंह रावत ने लिखा है कि प्रमुख वन संरक्षक जयराज के विदेश जाने के बारे में कार्मिक विभाग ने उन्हें जानकारी क्यों नहीं दी? इस मामले में हरक सिंह रावत जल्द मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात करने वाले हैं.

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वन मंत्री हरक सिंह रावत का कहना कि उन्हें केवल 3 अधिकारियों के विदेश जाने की फाइल प्राप्त हुई थी, जिसे उन्होंने मंजूरी दी थी. लेकिन उन 3 अधिकारियों में प्रमुख वन संरक्षक का नाम शामिल नही था. अगर उन्हें ये मालूम होता तो वह शायद प्रमुख वन संरक्षक के विदेश दौरे को मंजूरी नहीं देते. क्योंकि इस समय उत्तराखंड के जंगलों की रक्षा करना विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. हरक सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश में अधिकारी गलत परम्पराओं को जन्म दे रहे हैं. अधिकारी विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बिना फाइलों को आगे बढ़ा रहे हैं. यह प्रदेश के लिए सही नहीं है.

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