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हल्द्वानी: सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाए जाने पर मुआवजा दिए जाने से इनकार, रेलवे ने कहा- नहीं है ऐसी कोई नीति

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान रेलवे ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट में जवाब दिया. रेलवे ने कहा कि नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आए याचिकाकर्ताओं ने याचिका में पुनर्वास की मांग नहीं की हैं. ऐसे में पुनर्वास या मुआवजे का मसला ही नहीं उठता है. 

फाइल फोटो फाइल फोटो
संजय शर्मा
  • दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:30 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के मामले में सुनवाई की. इस दौरान रेल मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के बदले पुनर्वास या मुआवजा मुहैया कराने की कोई नीति या प्रावधान नहीं है. 

दरअसल, उत्तराखंड में गौला नदी के किनारे रेलवे की जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. इस मामले में  रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. उसमें कहा गया कि नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आए याचिकाकर्ताओं ने पुनर्वास की कोई मांग नहीं की हैं. ऐसे में पुनर्वास या मुआवजे का मसला ही नहीं उठता है. 

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हाईकोर्ट ने दिया था अतिक्रमण हटाने का आदेश 
 
सुप्रीम कोर्ट में रेलवे ने कहा कि जुलाई 2008 में हाईकोर्ट ने गौला नदी में अवैध खनन के मामले पर  सुनवाई शुरू की थी. रेलवे का पक्ष जानने के बाद हाईकोर्ट ने रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. इस दौरान हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद राज्य सरकार के अधिकारी रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने में सहायता नहीं करते हैं. 

विकास के लिए अतिक्रमण हटाने की जरूरत- रेलवे

रेलवे ने कहा कि सिर्फ उत्तराखंड में ही रेलवे की 4,365 हेक्टेयर भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा है. जबकि यूपी-बिहार में 25648.15 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा है. भविष्य की परियोजनाओं को देखते हुए अतिक्रमण या गैरकानूनी कब्जा हटाने की सख्त जरूरत है. रेलवे को विकास और विस्तार के लिए अपनी जगह वापस चाहिए. जनहित में अतिक्रमण हटाना जरूरी है. अन्यथा भविष्य में ये रेल यात्रियों की परेशानी का कारण बन जाएगा.

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एससी के पुराने फैसले का किया जिक्र

रेलवे ने अपनी दलील देते हुए कहा कि प्रावधानों के मुताबिक संबंधित भूमि पर अतिक्रमण या अवैध कब्जे पर ढांचा खड़ा करने का हक किसी भी नागरिक को नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दायर याचिका को खारिज कर देना चाहिए. रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसला का जिक्र कर याद दिलाया कि एससी ने ही एक सुनवाई के दौरान कहा था कि अवैध कब्जे तत्काल हटाए जाने चाहिए. रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि अतिक्रमण हटाने पर लगायी गई रोक के आदेश को वापस लिया जाना चाहिए.

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