
उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार शाम को दंगाईयों ने जमकर उत्पात मचाया. बनभूलपुरा इलाके में पुलिस थाने को घेरकर उस पर न केवल हमला किया गया बल्कि वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने की कोशिश की गई. पुलिस प्रशासन अतिक्रमण को कब्जा मुक्त कराने गया था और इसी दौरान भीड़ आक्रोशित हो गई और जमकर पथराव कर पेट्रोल बम से हमले किए गए. दर्जनों वाहन फूंक डाले गए. इस पूरी घटना में 5 लोगों की मौत हो गई है.
बनभूलपुरा में हुई इस हिंसा के बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं भी सस्पेंड कर दी गई हैं. इस हिंसा के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी किया गया है. नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने कहा कि गुरुवार को साजिश के तहत पुलिस टीम पर हमला किया गया और थाने को घेरकर अंदर मौजूद लोगों को बाहर नहीं आने दिया गया. उन पर पहले पथराव किया गया और फिर पेट्रोल बम से हमला किया गया. कई वाहनों को आग लगाकर फूंक दिया गया. हिंसा ने इसी बनभूलपुरा इलाके में एक साल पहले हुए बवाल की याद दिला दी.
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एक साल पहले हुआ था बवाल
यह पहली बार नहीं है जब बनभूलपुरा इस तरह सुलगा हो, एक साल पहले जब कोर्ट के आदेश के बाद यहां अतिक्रमण हटाने की कोशिश की गई थी तो तब भी काफी बवाल हुआ था. रेलवे ने समाचार पत्रों के जरिए नोटिस जारी कर अतिक्रमण करने वालों को 1 हफ्ते के अंदर कब्जा हटाने को कहा था. रेलवे और जिला प्रशासन ने ऐसा न करने पर मकानों को तोड़ने की चेतावनी दी थी. इसके बाद लोगों का विरोध प्रदर्शन इस कदर तेज हुआ कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासने के फैसले पर अस्थायी रोक लगाकर लोगों को राहत दी थी.
रेलवे की जमीन पर बसी पूरी बस्ती
दरअसल हल्द्वानी में हल्द्वानी में रेलवे की जिस जमीन पर विवाद है वो बनभूलपुरा से सटी है. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास का यह इलाका करीब 2 किलोमीटर से भी ज्यादा के क्षेत्र को कवर करता है. इन इलाकों को गफ्फूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के नाम से जाना जाता है. यहां रहने वाले लोगों ने पहले रेलवे की इस जमीन पर कब्जा किया और फिर धीरे-धीरे पक्के मकान बनाए और हजारों की संख्या में यहां लोगों की रिहाइश हो गई.
रेलवे का दावा
रेलवे ने इसे अपनी जमीन बताते हुए 82.9 किमी से 80.17 किलोमीटर के बीच की जमीन खाली कराना चाहता है और इस पूरी जमीन पर अपना दावा करता है. नैनीताल हाईकोर्ट ने गौला नदी पर अवैध खनन के मामले में सुनवाई करते हुए अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया था रेलवे दावा करता है कि सभी पक्षों की फिर दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को अतिक्रमणकारियों को हटाने का निर्देश दिया.रेलवे दावा करता है कि उसके पास पुराने नक्शे हैं. 1959 का नोटिफिकेशन है. 1971 का रेवेन्यू रिक़ॉर्ड है. 2017 की सर्वे रिपोर्ट है.
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लोगों की दलील
वहीं विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि हाईकोर्ट में 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का मसला था लेकिन अब रेलवे 78 एकड़ से अधिक की सारी जमीन पर अपना दावा कर रही है.प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि राज्य सरकार को नजूल की जमीन के हिसाब से उनकी रिहाइश को मंजूरी देनी चाहिए, न कि रेलवे की जमीन बताकर उनके सौ साल पुराने रिहाइश को उजाड़ देना चाहिए. जिस जमीन को रेलवे अपना बता रही है,वहां करीब 50 हजार लोगों की बस्ती है, जिसे हटाने का आदेश हाईकोर्ट की ओर आया था. बनभूलपुरा में 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं. इस क्षेत्र में 4 सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक हैं.
यहां रहने वालों का यही सवाल है कि अगर जमीन अवैध है तो सरकारी स्कूल कैसे बने. कैसे बैंक खुल गए? पानी की टंकी अवैध नोटिस के वक्त क्यों बनाई गई. इतना ही नहीं घर का बिजली का मीटर भी चालू है. आजादी के पहले इस हिस्से में बगीचे, लकड़ी के गोदाम और कारखाने थे. इनमें उत्तर प्रदेश के रामपुर, मुरादाबाद और बरेली के अल्पसंख्यक समाज के लोग काम करते थे. धीरे-धीरे वह यहां बसते गए और रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर कब्जा हो गया.