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'अजित पवार को जितनी बार डिप्टी सीएम बनने को कहो, वो हमेशा तैयार रहते हैं,' बोले भगत सिंह कोश्यारी

इंडिया टुडे 'स्टेट ऑफ द स्टेट: उत्तराखंड फर्स्ट' कार्यक्रम में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिरकत की. उन्होंने उत्तराखंड की विकास यात्रा से लेकर महाराष्ट्र में राजभवन के कार्यकाल तक के बारे में खुलकर बात की. कोश्यारी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने का किस्सा सुनाया. साथ ही मजाकिया अंदाज में 2019 में अजित पवार के महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम की शपथ लेने के वाक्ये पर भी चर्चा की.

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी. महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी.
aajtak.in
  • देहरादून,
  • 25 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इंडिया टुडे/आज तक के कार्यक्रम 'INDIA TODAY STATE OF THE STATE: UTTARAKHAND FIRST'में शिरकत की. कोश्यारी ने कह कि उत्तराखंड में आज कनेक्विटी हो गई है. संचार का काम भी पूरा हो रहा है. टूरिस्ट बढ़ी संख्या में आ रहे हैं. मैंने प्रधानमंत्री से कहा है कि वहां लोग अच्छा काम कर रहे हैं. उत्तराखंड आत्मनिर्भर बने, इसलिए मैं भी थोड़ा योगदान देने की कोशिश करता हूं. कोश्यारी ने अजित पवार और शरद पवार को लेकर भी बयान दिया है.

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कोश्यारी ने 2019 में सुबह-सुबह अजित पवार को डिप्टी सीएम की शपथ दिलाने के वाक्ये पर भी बात की. उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में अजित एक सुलझे हुए राजनेता हैं. जैसे हमारे प्रदेश में भी एक बड़े नेता हैं, वो कितनी बार हार जाएं, लेकिन हार नहीं मानते. ठीक वैसे ही अजित पवार को जितनी बार कहो डिप्टी सीएम बनने के लिए... वो उतने ही बार बनने के लिए तैयार रहते हैं. (जोर से हंसने लगते हैं). मुझे लगता है कि कभी-कभी दया भी आती है. अच्छा और होशियार आदमी है. उनका जनाधार बहुत है. संगठन में बड़ा होल्ड है. ज्यादातर विधायक और सांसद उनके पक्ष में रहते हैं. हर एक का अपना-अपना व्यक्तित्व है. 

'प्रधानमंत्री के आदेश पर महाराष्ट्र गया'

महाराष्ट्र राजभवन छोड़कर आने पर कोश्यारी ने कहा, 2016 में घोषणा की थी कि 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगा. तब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह थे. खुली बैठक में यह बात कही थी. मैंने यह भी विचार रखा था कि राजनीति भी नहीं करूंगा. चूंकि प्रधानमंत्री का आदेश (महाराष्ट्र गवर्नर के लिए) था. मेरे शुभचिंतक, विशेषकर छोटे भाई को लगा कि अगर प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि तो हमें उनका सम्मान करना चाहिए. भले थोड़े दिन के लिए क्यों ना हो. जाना अवश्य चाहिए. मुझे लगता है कि मैंने उनकी राय को स्वीकार किया. मित्रों के आग्रह को मानना ही था. महाराष्ट्र चला गया. 

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'मौका देने के लिए पीएम का आभारी हूं'

कोश्यारी ने कहा, मैंने वहां जो सेवा हो सकी, वो करने की कोशिश की. राजभवन के उद्घाटन में प्रधानमंत्री को बुलाया और उनसे एक ही निवेदन किया कि देखिए मैं इच्छुक नहीं था. लेकिन, प्रेम और स्नेह में इतनी ताकत है कि वो सब निर्णय भी बदलवा देता है. मैं आपके स्नेह की वजह से ही यहां (महाराष्ट्र राज्यपाल) आया हूं. मैं मौका देने के लिए आभारी हूं. 

'शरद पवार का हमेशा आदर करता हूं'

फडणवीस और शिंदे के मनाने और शरद पवार की नाराजगी के सवाल पर कहा, शरद पवार देश के सीनियर नेता हैं. उनका आज भी सब लोग सम्मान करते हैं. शरद पवार जब भी राजभवन में मिलने आए तो अपने मन की बात कहकर गए. व्यक्तिगत रूप से मैं उनको बहुत आदर देता हूं. मेरे हाथ से उन्होंने दो-दो बार दो-दो यूनिवर्सिटी में डिग्री ली. मेरा सौभाग्य है कि रतन टाटा को डिग्री देने का मौका मिला. शरद पवार जी मुझसे उम्र में आठ-दस महीने बढ़े हैं, इसलिए स्वभाविक है कि मैं उनका सम्मान करता हूं. वे अच्छे राजनेता हैं. 

'जनता के संतोष के लिए होता जनप्रतिनिधि'

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उत्तराखंड में अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के तौर पर कोश्यारी ने कहा, जनप्रतिनिधि सामान्य रूप से जनता के संतोष के लिए होता है. जिंदा है तो बहुत माला पहनाते हैं. जब पता चलता है कि संसार में नहीं है तब कोई एक ऐसा नहीं होता है जो दो चार तक याद करता हो. मुझे लगता है कि करने को बहुत कुछ है.

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'बीजेपी में परिवारवाद और वंशवाद नहीं'

सीएम पुष्कर सिंह धामी को लेकर कहा कि हमारे यहां कोई ऐसा द्रोणाचार्य और कृपाचार्य का शिष्य है, ऐसा नहीं होता है. हमारे यहां बीजेपी और आरएसएस में सामूहिक नेतृत्व में चलते हैं. कोशिश करते हैं कि एक-दूसरे का विकास हो. साथ साथ मैं अकेला हूं या मेरे परिवार के लोग और मेरे गुट के लोग रहें, ये हमारे यहां नहीं होता है. मैं आगे बढ़ रहा हूं तो सब साथ चलने वाले भी आगे बढ़ते चलें. इसी तरह पुष्कर सिंह धामी भी आगे बढ़े और आगे भी बहुत सारे लोग आगे बढ़ते देखने को मिले.

'कोश्यारी ने सुनवाई उत्तराखंड की विकास यात्रा'

भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि जब मैं 2002 में विधायक था. नेता विरोधी दल था. क्षेत्र में पैदल जाता था. सात दिन घूमने के बाद वोटर रोड पर पहुंचता था. पहले घास पकड़कर गांवों तक पहुंचते थे, वहां अब बस के जरिए चले जाते हैं. अटलजी की वजह से कनेक्टिविटी बढ़ गई. सारे देश के अंदर गांव-गांव तक सड़कें पहुंचीं हैं. आज आप कहीं भी जा सकते हैं. उन्होंने कहा, पहले उत्तराखंड में लंबे समय से मांग चल रही थी कि सड़क और अस्पताल नहीं है. डॉक्टर और दवा नहीं है. स्कूल और मास्टर नहीं हैं. पढ़ाने वाला नहीं है. 1986 में मुझे संघ से बीजेपी में आने के लिए कहा गया. मैंने एक पुस्तक में राज्य बनने की वजहें बताईं. जब से उत्तराखंड राज्य बना है तो स्थितियां बदलीं. मैंने शिक्षा मित्र की योजना चलाई. उसी गांव के श्रेष्ण लड़कों को नौकरी दी गई. ये योजना पूरे देश में चर्चित हुई. मैं पहले कहता था कि पैसा नहीं है. यूपी से 3 हजार करोड़ रुपए का कर्जा लेकर आए थे. लेकिन धीरे-धीरे राज्य में विकास कार्य हुए.

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