
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन तक 41 मजदूर फंसे रहे. वह हर दिन भगवान से यही दुआ करते थे कि उनकी जान बच जाए. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढहने की घटना हुई थी. इसके करीब 9 दिन बाद मजदूरों को खाना-पानी पहुंचाया गया था.
28 नवंबर को सभी मजदूरों को सही सलामत सुरंग से बाहर निकाल लिया गया. सभी का मेडिकल हुआ, जिसमें वह स्वस्थ पाए गए. उत्तराखंड सरकार ने सभी मजदूरों को एक-एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी है.
जब यह मजदूर सुरंग में फंसे तो ये लोग एक-एक दिन उंगलियों पर गिन रहे थे. इन्हीं मजदूरों में शामिल कई लोगों ने सुरंग के अंदर के वीडियो रिकॉर्ड किए हैं, फोटो क्लिक किए हैं. जब उन तक खाना-पानी सप्लाई शुरू कर दी गई थी. उसके कुछ वीडियो सामने आए हैं.
इनमें मजदूरों द्वारा बताया गया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उनके पास खाने-पीने की क्या व्यवस्था थी. अंदर का माहौल कैसा था और वह सभी कैसे रह रहे थे. एक दूसरे को ढांढस बंधा रहे थे.
पहला वीडियो...
इस वीडियो में नजर आ रहा है कि दर्जन भर मजदूर एक जगह पर खड़े हुए हैं. सामने एक सफेद रंग का कपड़ा सा बिछा हुआ है. उसमें कुछ खाने का सामान है. उसके आगे पाइप है. मजदूर कपड़े में से भोजन उठाकर खा रहे हैं. वीडियो बनाने वाला युवक कहता है कि पहाड़ में फंसे हुए 36 घंटे हो गए हैं. अभी भी ओपन नहीं है पहाड़.
दूसरा वीडियो...
यह वीडियो मजदूरों के सुरंग में फंसे रहने के 13वें दिन का है. वीडियो बनाने वाला मजदूर कहता है कि आज हम लोगों को सुरंग में फंसे 13 दिन हो गए हैं. हमारे खाने के लिए फल (सेब) भेजे गए हैं. मंजन (टूठ पेस्ट), ब्रश, जीबी, टॉवल भेजी गई हैं. इस बोतलों में खाना भेजा जाता है.
वीडियो में सेब फल का ढे़र लगा नजर आ रहा है. इसके अलावा कई मजदूर आराम करते नजर आ रहे हैं. सुरंग में बिजली सप्लाई होने के कारण अंधेरा नहीं दिखा. जिनके पास स्मार्ट फोन था वह लोग उस पर टाइम पास करते नजर आ रहे हैं.
तीसरा वीडियो...
तीसरे वीडियो में मजदूर बताते हैं कि उनके पास क्या-क्या है. सेब, केला और अमरूद का ढे़र लगा नजर आ रहा है. साथ ही जिन बोतलों में मजदूरों को खिचड़ी और आलू भेजे गए थे. उनका भी काफी ढे़र लगा नजर आ रहा है. वीडियो बनाने वाले युवक बताते हैं कि उनके ढे़र साथा ड्रायफ्रूट (काजू-किशमिश) भी खाने के लिए भेजा गया है. इसके अलावा मजदूर अपने सोने की जगह की बताते हैं.
कौन-कौन थे इस रेस्क्यू के हीरो?
बता दें कि यह ऑपरेशन बेहद मुश्किल भरा रहा. सरकारों और तमाम बचावकर्मियों को इस सफलता को पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, भारतीय थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों, अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका रही थी. 400 घंटे की अथक मेहनत के बाद इस रेस्क्यू को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.