Advertisement

क्या उत्तराखंड सरकार चारधाम यात्रा के लिए तैयार नहीं है?

गृह विभाग ने इस बात के लिए भी सचेत किया है कि ऑल वेदर रोड के कार्य के लगातार चलने से पहाड़ियों के दरकने या फिर भूस्खलन की समस्याएं भी बढ़ने के आसार हैं. अगर ये सब पहले से ही उत्तराखंड सरकार को मालूम है तो फिर अभी तक इसका समाधान क्यों नहीं हो पाया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
सना जैदी
  • देहरादून,
  • 18 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 9:07 PM IST

दो धामों के कपाट खुल गए हैं, जबकि केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने अभी बाकी हैं, लेकिन गृह विभाग के गढ़वाल आयुक्त को भेजे गए एक पत्र ने चिंता की लकीरें जरूर खींच दी हैं, जिसमें कपाट खुलने के समय ये बताया जा रहा है कि क्या समस्याएं हैं और उनसे कैसे निपटा जाएगा. हालांकि सरकारी चिट्ठी में ये जरूर लिखा है कि सभी विभाग उत्तराखंड के आपसी तालमेल के साथ इस यात्रा को संपन्न करवाएं. लेकिन यात्रा के इस पत्र का आखिर आशय क्या है, क्या उत्तराखंड सरकार ने पहले से सभी तैयारियां नहीं की हैं?

Advertisement

इसी चारधाम यात्रा को लेकर मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक बोलते रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री की नज़रें भी इस चारधाम यात्रा की तैयारियों पर लगी हुई हैं, फिर ऐसे में उत्तराखंड सरकार के गृह विभाग से जारी इस चिट्ठी का आखिर मतलब ही क्या है, अगर इस चिट्टी के हर पॉइंट को ध्यान से देखा जाए तो चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रिओं की मुसीबतें कम नहीं बल्कि बढ़ती हुई दिखाई देंगी.

ऑल वेदर रोड बन सकती है बड़ी समस्या

गृह विभाग की चिट्ठी में ये साफतौर पर लिखा है कि कैसे टैक्सी संचालक और होटल वाले यात्रियों से मनमांगा किराया वसूल करते  हैं, बसों की लगातार कमी की वजह से चारधाम यात्रा पर आए दूर दराज के यात्रियों को कैसे अनचाहे ही ऋषिकेश या हरिद्वार में अपने दिन गुजारने पड़ते हैं, इसके अलावा गृह विभाग ने इस बात के लिए भी सचेत किया है कि ऑल वेदर रोड के कार्य के लगातार चलने से पहाड़ियों के दरकने या फिर भूस्खलन की समस्याएं भी बढ़ने के आसार हैं. अगर ये सब पहले से ही उत्तराखंड सरकार को मालूम है तो फिर अभी तक इसका समाधान क्यों नहीं हो पाया है.

Advertisement

संचालकों पर नहीं सरकार का बस ?

जहां सरकार के द्वारा ये माना गया है कि केवल पार्किंग की व्यवस्थाओं में कमी नहीं है बल्कि संचालकों की भी मनमानी चलती है, वो बीच रास्ते से ही किसी भी यात्री उतार देते हैं. जिससे यात्रियों को तमाम असुविधाओं का सामना करना पड़ता है. चिंता का मुख्य विषय ये है कि चिट्ठी में यात्रिओं को उत्पन्न होने वाली समस्याओं का जिक्र बिंदुबार किया गया है लेकिन इन समस्याओं के स्थाई समाधान का कोई जिक्र कहीं पर नहीं है.

हरकत में आपदा प्रबंधन

इसी पत्र  के बाद आपदा प्रबंधन भी एकदम सामने आ गया है, आपदा प्रबंधन अपर सचिव सबीन बंसल की मानें तो अब उत्तराखंड में आपदाग्रस्त क्षेत्रों की ड्रोन से निगरानी होगी. आपदा प्रबंधन विभाग ड्रोन का इस्तेमाल करेगा. इसके लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने संवेदनशील क्षेत्रों के लिए ड्रोन मुहैया कराना शुरू कर दिया है. ड्रोन की मदद से दुर्गम क्षेत्रों की आसानी से सूचनाएं उपलब्ध हो सकेंगी. कुल मिलाकर आपदा के दौरान हर स्तर पर प्राधिकरण खुद को मुस्तैद बनाना चाहता है.

इसके साथ ही करीब 44 आईसैट प्रो सेटेलाइट फोन भी खरीदे गए हैं. इस विषय में अपर सचिव आपदा प्रबंधन सबिन बंसल ने कहा कि सभी जिलों को ड्रोन से लैस कर दिया जाएगा. आपको बता दें कि आपदा के दौरान ड्रोन की अच्छी खासी भूमिका रहेगी. इसका उपयोग आपदाग्रस्त क्षेत्रों से सूचनाओं को एकत्र करना होगा और वहां पर राहत और बचाव कार्यों को आसानी से किया जा सकेगा. आपदा तंत्र को और अधिक मुस्तैद करने के लिए विभिन्न जिलों में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. अब तक करीब 15 हजार 300 लोगों को राहत और बचाव के लिए प्रशिक्षण दिया गया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement