
जोशीमठ आपदा को लेकर हाल में इसरो-एनआरएससी ने हाल में एक रिपोर्ट जारी की थी. इसके साथ ही उसने कुछ फोटो में भी जारी की थीं. रिपोर्ट में कहा गया था कि जोशीमठ की जमीन तेजी से धंस रही है. जोशीमठ का प्रभावित पूरा इलाका कुछ दिनों के बाद नष्ट हो जाएगा. हालांकि अब ऐसा कहा जा रहा है कि रिपोर्ट वापस ले ली गई.
जोशीमठ भूमि धंसाव वाली रिपोर्ट अब एनआरएससी की वेबसाइट पर नहीं दिख रही है. जो तस्वीरें जारी की गई थीं, उनमें बताया गया था कि कैसे पिछले साल अप्रैल से जोशीमठ में भूमि धंसने की रफ्तार धीरे-धीरे तेज होती चली गई. अब यह रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. पीडीएफ रिपोर्ट का लिंक काम नहीं कर रहा है. हालांकि इस मामले में इसरो की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.
ISRO से रिपोर्ट मांगी तो हटा ली: शिक्षामंत्री
वहीं शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इसरो ने अपनी रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया था. मैंने इसरो चीफ से जोशीमठ पर जारी की गई रिपोर्ट पर जब आधिकारिक बयान मांगा तो आज सारी रिपोर्ट हटा ली गईं.
उन्होंने कहा कि जोशीमठ संकट पर केंद्र और राज्य सरकार के साथ कई एजेंसियां काम कर रही हैं. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है. पूरे राज्य में जितनी जगह भू-धंसाव की घटनाएं हो रही हैं, सभी का सर्वेक्षण किया जाएगा.
जितनी सिफारिशें यहां की संघर्ष समिति, स्थानीय लोगों ने नगर पालिका नगर पंचायत में की थीं, उसी के अनुरूप हमने कैबिनेट में निर्णय लिए. विस्थापन नीति भी स्थानीय लोगों के अनुरूप ही की जाएगी. एनटीपीसी के प्रोजेक्ट को लेकर जो 7 संस्थाएं यहां जांच कर रही है, उन्हीं की रिपोर्ट को साझा किया जाएगा.
इसरो ने रिपोर्ट में यह किया है दावा
ISRO के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने यह रिपोर्ट जारी की है. सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार पूरा जोशीमठ शहर धंस जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से जोशीमठ में जमीन धंसने और दरारों की जानकारी मिल रही है.
इसरो का कहना है कि अप्रैल से नवंबर 2022 तक जमीन धंसने का मामला धीमा था. इन सात महीनों में जोशीमठ -8.9 सेंटीमीटर धंसा है. लेकिन 27 दिसंबर 2022 से लेकर 8 जनवरी 2023 तक के 12 दिनों में जमीन धंसने की तीव्रता -5.4 सेंटीमीटर हो गई. यानी यह काफी तेज गति से बढ़ रहा है.
ड्रेनेज सिस्टम की तस्वीर भी जारी की गई
इसरो ने एक और तस्वीर जारी की है, जिसमें लाल रंग की धारियां सड़के हैं और नीले रंग का बैकग्राउंड दिखाई दे रहा है. यह हिस्सा जोशीमठ शहर के नीचे का ड्रेनेज सिस्टम है. यह प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों हो सकता है. आप ही सोचिए कि जहां पर इतना ज्यादा ड्रेनेज होगा, वहां की मिट्टी तो धंसेगी ही. इसे कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने चेताया था कि ढलान की मजबूती को बनाए रखने के लिए पोर प्रेशर कम करना था. यानी पानी का रिसना कम करना चाहिए था. अगर पानी ढलान के अंदर कम जाएगा तो वह खोखला नहीं होगा.
जोशीमठ का मध्य हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित
जोशीमठ का मध्य हिस्सा यानी सेंट्रल इलाका सबसे ज्यादा धंसाव से प्रभावित है. इस धंसाव का ऊपरी हिस्सा जोशीमठ-औली रोड पर मौजूद है. वैज्ञानिक भाषा में इसे धंसाव का क्राउन कहा जाता है. यानी औली रोड भी धंसने वाला है. बाकी जोशीमठ का निचला हिस्सा यानी बेस जो कि अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर है, वह भी धंसेगा. हालांकि यह इसरो की प्राइमरी रिपोर्ट है. फिलहाल InSAR रिपोर्ट की स्टडी अभी जारी है. लैंडस्लाइड काइनेमेटिक्स की स्टडी की जा रही है.