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चमोली और ऋषिकेश में भी दहशत की 'दरारें'..., लोग बोले- हम कहां जाएं, हमें बचा लीजिए

उत्तराखंड के जोशीमठ के हालात बेहद डरावने हैं. यहां जमीन दरक रही है, मकानों में दरारें आ रही हैं. इसको लेकर सैकड़ों लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है. जोशीमठ के बाद अब चमोली और ऋषिकेश में भी मकान दरक रहे हैं. लोग डरे हुए हैं. उनका कहना है कि आखिर वे ऐसे हालात में कहां जाएं.

चमोली और ऋषिकेश में भी मकानों में आ रहीं दरारें. चमोली और ऋषिकेश में भी मकानों में आ रहीं दरारें.
अंकित शर्मा
  • जोशीमठ/हल्द्वानी,
  • 13 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST

जोशीमठ पर इस वक्त एक भारी संकट मंडरा रहा है. लगभग 600 से ज्यादा घरों के लोगों को शिफ्ट कराया जा रहा है. सरकार लगातार बचाव कार्य में जुटी है और लोगों को राहत देने की बात कह रही है. इसी बीच चमोली के कर्णप्रयाग में भी जोशीमठ जैसे हालात हैं.

जोशीमठ से 75 किलोमीटर दूर कर्णप्रयाग की बहुगुणा कॉलोनी में 2 दर्जन से ज्यादा मकानों में दरारें आ गई हैं. बहुगुणा कॉलोनी के इन मकानों में पहली दरार करीब एक दशक पहले नजर आई, लेकिन अब ये दरारें चौड़ी और लंबी हो गई हैं. 

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कर्णप्रयाग से ही रिटायर हुए पूर्व सप्लाई अफसर 70 वर्षीय बीपी सती का 6 लोगों का परिवार है. बीपी सती ने कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में कई साल पहले अपना मकान बनाया था. उनके अनुसार, करीब 2013 से भू-धसाव और मकान में दरारें आ रही हैं.

सती का कहना है कि यह मंडी के निर्माण और ऑल वेदर रोड की वजह से हुआ. उन्होंने अभी 2 दिन पहले ही धरना दिया था, जिसके बाद शासन-प्रशासन ने सर्वे तो किया, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया. घर की हालत बहुत दयनीय है. बीपी सती की पत्नी का कहना है कि लाखों रुपए लगा चुके हैं और कितने लगाएं, कहां जाएं. सीएम धामी से गुहार है कि वो हमें बचा लें.

कर्णप्रयाग और लैंडोर में भी डरे लोग, यहां भी 50 घरों में दरारें

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कर्णप्रयाग के अलावा लैंडोर के लोग भी डरे हुए हैं. जोशीमठ से लगभग 75 किलोमीटर दूर कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में कम से कम 50 घरों में 2015 से दरारें आ रही हैं. स्थानीय लोग इन दरारों के लिए भूमि के धीरे-धीरे धंसने को जिम्मेदार मानते हैं.

इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण, निर्माण कार्यों में नियमों के उल्लंघन को भी जिम्मेदार मानते हैं. लोगों का कहना है कि पिंडार नदी के कारण होने वाला कटाव और बारिश के पानी को बेतरतीब ढंग से निकाला जाना इस सबकी वजह है.

सड़क चौड़ीकरण, बारिश के पानी की बेतरतीब निकासी बन रही वजह

कर्णप्रयाग नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष सुभाष गैरोला ने कहा कि बहुगुणा नगर के ऊपर भूस्खलन से आए मलबे ने सबसे पहले 2015 में घरों को नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद नगर परिषद ने बचाव कार्य के प्रयास किए थे. यही हाल बीते सालों में नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण और कर्णप्रयाग-कनखूल सड़क के किनारे एक नाली के अभाव में बारिश के पानी के बहाव के साथ होने लगा.

गैरोला ने कहा कि कर्णप्रयाग, अलकनंदा और पिंडार नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण मानसून के दौरान नियमित और भारी मिट्टी का कटाव होता है. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान घरों में भी पानी घुस जाता है, जिससे मकानों की नींव कमजोर हो जाती है. 

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केदारनाथ नेशनल हाइवे के पास गांवों में भी आईं दरारें

गैरोला ने कहा कि मंडी परिषद ने अपने भवनों के निर्माण के दौरान जेसीबी की मदद से क्षेत्र की खुदाई भी की, जिससे स्थिति और खराब हो सकती थी. बहुगुणा नगर में आधे झुके हुए घरों की दीवारों पर बड़ी दरारें हैं, जबकि लोगों का ध्यान केवल जोशीमठ में भूमि धंसने पर है.

गैरोला ने कहा कि गोपेश्वर में चमोली जिला मुख्यालय के कुछ हिस्से और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुप्तकाशी के पास सेमी गांव में भी ऐसी ही स्थिति है. उन्होंने प्रभावित लोगों के लिए तत्काल सहायता के साथ-साथ स्थानीय लोगों की सुरक्षा की योजना तैयार करने की मांग की.

चमोली के डीएम बोले- IIT रुड़की के विशेषज्ञों की ली जा रही है मदद

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि कर्णप्रयाग में दरार वाले घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है. हम कर्णप्रयाग में समस्या के समाधान के लिए आईआईटी-रुड़की के विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं. वे समस्या का अध्ययन कर रहे हैं और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. रिपोर्ट के आधार पर बचाव के उपाय किए जाएंगे.

मसूरी के लैंडोर और ऋषिकेश के पास अटाली गांव में भी भूस्खलन होने की खबर है. मसूरी में लैंडोर चौक से कोहिनूर भवन तक सड़क का 100 मीटर का हिस्सा पिछले 30 साल से धीरे-धीरे धंस रहा है. क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने कहा कि इसके लिए पहाड़ी शहर में भारी निर्माण गतिविधियों और खराब जल निकासी व्यवस्था जिम्मेदार है.

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ऋषिकेश के पास अटाली गांव में भी फटी जमीन

मसूरी के एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी हाल ही में लैंडोर में दरारों का निरीक्षण करने पहुंचे थे, उन्होंने कहा कि क्षेत्र में भूमि धंसाव मामूली है, लेकिन इसकी वजह पता लगाने के लिए स्टडी की जा रही है. 

ऋषिकेश के पास अटाली गांव में जमीन में दरारें आ गई हैं. ग्रामीणों का दावा है कि क्षेत्र में बन रही रेलवे सुरंग में दरार आने से पड़ोसी सिंगटाली, लोदसी, कौड़ियाला और बवानी गांव भी प्रभावित हुए हैं. एसडीएम देवेंद्र नेगी ने कहा कि विशेषज्ञों की एक टीम गठित बनाई गई है, जो 15 जनवरी को प्रभावित गांवों का मुआयना करेगी.

अंतरिम राहत के लिए जारी किए जा चुके हैं 45 करोड़ रुपएः CM धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को कहा कि लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मुआवजे के लिए दर तय की जाएगी. चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना की अध्यक्षता में बुधवार को 19 सदस्यीय समिति का गठन किया गया. 

उन्होंने कहा कि यह समिति प्रत्येक प्रभावित परिवार को 1.50 लाख रुपए की अंतरिम सहायता राशि वितरित करेगी और यह तय करेगी कि किस दर पर मुआवजा दिया जाना है. बता दें कि बता दें कि जोशीमठ में भारी मन से लोग अपना सामान ट्रकों में लादकर दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो रहे हैं.

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'खून पसीने की कमाई से आशियाने बनाए, उन्हें छोड़ना बहुत दुखद है'

केंद्रीय राज्य रक्षा मंत्री अजय भट्ट ने जोशीमठ आपदा को लेकर कहा कि अपने घरों को छोड़ना इस वक्त लोगों की बहुत बड़ी मजबूरी है, क्योंकि सरकार की पहली प्राथमिकता है कि हर किसी को बचाना. ईश्वर की कृपा से अभी तक कोई भी अनहोनी या कैजुअल्टी नहीं हुई है.

उन्होंने कहा कि अगर समय से घर खाली नहीं कराए गए और घरों को नहीं छोड़ा जाएगा तो फिर कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है. दुख का विषय इसलिए है, क्योंकि कड़ी मेहनत खून पसीने की कमाई जमा पूंजी से लोगों ने अपने आशियाने बनाए हैं, लेकिन इस दुख के समय में उन घरों को छोड़ना बहुत बड़ा दुख और परेशानी भरा है.

(राहुल सिंह दरम्वाल के इनपुट के साथ)

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