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उत्तराखंड में आफत की बारिश, कहीं बह गई सड़क, कहीं बढ़ा नदी का जलस्तर

भूस्खलन के कारण आवासीय भवन भी खतरे की जद में हैं. वहीं, ऋषि गंगा नदी का जलस्तर एक बार फिर से बढ़ गया है. इसकी वजह से 7 फरवरी को हुई ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद बना बेली ब्रिज भी खतरे में आ गया है.

भूस्खलन के बाद क्षतिग्रस्त रोड भूस्खलन के बाद क्षतिग्रस्त रोड
दिलीप सिंह राठौड़
  • देहरादून,
  • 14 जून 2021,
  • अपडेटेड 7:45 PM IST
  • बेली ब्रिज को बचाने में जुटा बीआरओ
  • जान हथेली पर लेकर जा रहे जवान

मॉनसून की शुरुआत के साथ ही पहाड़ के लिए मुसीबतें शुरू हो गई हैं. कहीं बारिश में सड़क बह गई है तो कहीं नदी का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कुछ महीने पहले ही ग्लेशियर टूटने से तबाह हुए जोशीमठ के रेनी गांव में भारी बारिश ने तबाही मचाई है. चिपको आंदोलन की शुरुआत करने वाली गौरा देवी के गांव रेनी में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की एक रोड बह गई है.

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जानकारी के मुताबिक जोशीमठ से मलारी को जोड़ने वाली रोड का करीब 200 मीटर हिस्सा बह गया है. बीआरओ के जवान बेली ब्रिज बचाने में जुटे हैं. ऋषिगंगा का जलस्तर भी बढ़ गया है. कुछ ही समय पहले भीषण आपदा झेल चुके रेनी गांव के लोगों में फिर से खौफ घर कर गया है. रेनी गांव में बची सड़क पर भी मोटी-मोटी दरार देखने को मिल रही है. रात 2 बजे से भारी भूस्खलन के चलते मलारी बॉर्डर रोड पर आवागमन ठप है.

भूस्खलन के कारण आवासीय भवन भी खतरे की जद में हैं. वहीं, ऋषि गंगा नदी का जलस्तर एक बार फिर से बढ़ गया है. इसकी वजह से 7 फरवरी को हुई ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद बना बेली ब्रिज भी खतरे में आ गया है. बीआरओ की ओर से बेली ब्रिज को बचाने की कवायद जारी है. इस ब्रिज को बचाने के लिए बड़ी संख्या में मजदूर नदी के पानी में पत्थर फेंक रहे थे.

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जान हथेली पर लेकर खतरनाक रास्ते से आवागमन को मजबूर जवान

पहली बारिश में ही पहाड़ पर आफत बरसनी शुरू हो गई है. कई जगह सड़कें भूस्खलन के बाद मलबे से बंद हो गई हैं. भारत-चीन सीमा की ओर जाने वाले जवान, ग्रामीण जान हथेली पर रखकर खतरनाक रास्तों से आवाजाही को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि वे कल रात से सोए नहीं हैं कि कब क्या हो जाए. चिपको आंदोलन की शुरुआत के गवाह रहे रेनी गांव के लोगों ने प्रशासन से तत्काल विस्थापन की मांग की है. ग्रामीणों ने प्रशासन पर अपनी बात को अनसुना करने का आरोप लगाया.

मौके पर पहुंचे जोशीमठ के तहसीलदार चंद्रशेखर वशिष्ठ ने कहा कि नीति घाटी की ओर आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है. नीति घाटी के प्रवासी ग्रीष्मकालीन अवकाश पर आए हुए हैं तो इसका ध्यान रखते हुए जल्द ही सड़क का पुनर्निर्माण कराकर इसे चालू करा दिया जाएगा. उन्होंने रेनी गांव के लोगों की समस्याओं को लेकर भी कहा कि इसपर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा.

टिहरी का हाईवे बंद

भारी बारिश और भूस्खलन के कारण टिहरी को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 58 पर भी आवागमन ठप हो गया है. जानकारी के मुताबिक एनएच 58 पर कोडियाला के करीब बड़े-बड़े बोल्डर गिरे पड़े हैं. संबंधित तंत्र बोल्डर हटाकर राजमार्ग पर आवागमन फिर से शुरू कराने की कोशिशों में जुटा है. ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया गया है. देर शाम तक आवागमन बहाल हो जाने की उम्मीद प्रशासन ने जताई है.

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एनएच-58 पर पड़े बड़े बोल्डर

गढ़वाल पुलिस का मॉनसूनी डायवर्जन प्लान

बारिश के कारण पर्वतीय इलाकों में होने वाली भूस्खलन की घटनाओं को देखते हुए गढ़वाल रेंज की पुलिस डायवर्जन प्लान के लिए एसओपी बनाने जा रही है. इस एसओपी के जरिए सड़क बाधित होने की सूचना समय से रेंज के जिलों को मिल सकेगी.

एक जिला दूसरे जिले से सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए अलर्ट मोड पर रहेगा. इसका एक बड़ा लाभ यह होगा कि जहां पर भी सड़क बाधित होगी, उसकी सूचना लोगों को समय रहते मिल सकेगी और वे दूसरे रास्ते से अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे. फिलहाल, इस योजना में सात जिले शामिल होंगे.

इस संबंध में गढ़वाल रेंज की डीआईजी नीरू गर्ग ने बताया कि सभी जिलों को आपस में सामंजस्य स्थापित कर एसओपी बनाने के लिए कहा गया है. उन्होंने बताया कि इससे कहीं भी कोई सड़क बाधित होने की जानकारी अन्य जिलों को भी मिल सकेगी और उसके बाद इसके आधार पर डायवर्जन प्लान लागू किया जा सकेगा.

 

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