
कोरोना संकट के बीच अब हरिद्वार में कुंभ में वैष्णव वैरागी साधुओं के अखाड़े ही 27 अप्रैल को अंतिम शाही स्नान करेंगे. शैव संन्यासियों के अखाड़े मामूली संख्या में हर की पैड़ी पर स्थित ब्रह्मकुंड में गंगा की पावन धारा में सिर्फ प्रतीकात्मक स्नान करेंगे. प्रतीकत्मक का मतलब भी बिल्कुल साफ है. संन्यासी अखाड़ों के प्रतिनिधि बिना हाथी-घोड़े-रथ गाजे-बाजे चंवर-छत्र और लाव लश्कर के बेहद सीमित संख्या में पैदल हर की पैड़ी जाकर स्नान करेंगे और लौट जाएंगे. वैष्णव बैरागी संतों ने पूरे शाही तामझाम और शोभा यात्रा के साथ स्नान के लिए जाने का फैसला बरकरार रखा है.
कुल मिलाकर महाकुंभ के अंतिम स्नान को लेकर स्थिति अब साफ होती दिख रही है. जूना पीठाधीश्वर सर्वोच्च शिखर पुरुष आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुंभ मेले को लेकर फोन पर हुई बातचीत के बाद शनिवार को अपने कनखल स्थित हरिहर आश्रम में कहा कि प्रधानमंत्री ने कुंभ मेले और साधु-संतों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. मेले में चल रही धार्मिक गतिविधियों के बारे में भी प्रधानमंत्री मोदी ने जिज्ञासा जताई. आचार्य महामंडलेश्वर ने उन्हें बताया कि यहां बहुत ही भव्यता और दिव्यता के साथ धार्मिक आयोजन चल रहे हैं. प्रधानमंत्री को सकुशल संपन्न हुए शाही स्नान के बारे में भी जानकारी दी गई.
उन्होंने बताया कि गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा व छत्तीसगढ़ में कोरोना बहुत ज्यादा फैल रहा है. आशंका है कि वहां से कुछ संक्रमित लोग कुंभ स्नान करने के लिए आए होंगे. उनसे ही यहां संक्रमण फैल गया है. उन्होंने बताया कि हरिद्वार में साधु संतों की वजह से कोरोना नहीं फैला है.
अवधेशानंद गिरी ने हरिद्वार की मौजूदा स्थिति के हवाले से देश भर के श्रद्धालुओं से अपील की है कि बाल, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं और रोगी यहां कुंभ नगरी आने में संकोच करें. यानी ना आएं. अधिकतर लोग यहां से स्नान करके चले गए हैं. अब जो यहां संख्या है वह भी बहुत सीमित है.
उन्होंने कहा कि वैष्णव बैरागी अखाड़े 27 अप्रैल को शाही स्नान करेंगे. उसका वह सम्मान करते हैं. वह स्नान होना भी चाहिए. लेकिन जो अन्य अखाड़े हैं .वह इस स्नान को प्रतीकात्मक ही करते आए हैं और इस बार भी प्रतीकात्मक ही करेंगे. उन्होंने कहा कि कुंभ मेला समाप्त नहीं हुआ है. कुम्भ मेला अपनी अवधि में ही समाप्त होगा. बैरागी अखाड़े स्नान करेंगे. मेला प्रशासन उनकी व्यवस्था में लगा हुआ है. उन्होंने लोगों से आह्वान किया है कि सीमित संख्या में ही हरिद्वार आएं. जो श्रद्धालु आ रहे हैं या आ चुके हैं वो पूरी सख्ती और निष्ठा के साथ कोविड गाइडलाइन का पालन करें. धर्म और आस्था बड़ी चीज है. पर उनसे बड़ा जीवन और प्राण है. हमें उसकी भी रक्षा करनी है.