
उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं से हाहाकार मचा हुआ है. जगह-जगह जमीन फट रही है, घरों-होटलों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. ऐसे हालात अब जोशीमठ ही नहीं कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, चमोली, उत्तरकाशी में भी हो गए हैं. अभी तक ऐसा लग रहा था कि जमीन धंसने की शुरुआत जोशीमठ से हुई है लेकिन अब दावा किया जा रहा है कि भू-धंसाव की घटनाओं की शुरुआत महीनों से पहले कहीं और से हुई थी.
जानकारी के मुताबिक जोशीमठ से करीब 8 किमी. ऊपर जाने पर 7000 फुट की ऊंचाई पर सुनील नाम का गांव है. सबसे पहले इसी गांव में जमीन धंसने की शुरुआत हुई थी. जोशीमठ की घटनाओं से महीनों पहले यहां के घरों की दीवारों में दरारें दिखी गई थीं. यहां पिछले 8 दिनों में ये दरारें इतनी बड़ी हो गईं कि घर के घर टूट रहे हैं. पहाड़ की ढलान पर बसा यह गांव खत्म होने के कगार पर है.
यहां रहने वाले कुछ परिवारों को होटल में शिफ्ट किया गया है लेकिन दिन में ये लोग घरों में चले आते हैं क्योंकि इन्हें अपने सामान मवेशियों और खेतों की चिंता है. सुनील गांव के रहने वाले लोगों का कहना है कि जहां हमें रहने के लिए भेजा जा रहा है, वह इलाका भी सुरक्षित नहीं है. इस गांव के लोग अपना घर-संपत्ति छोड़कर नहीं जाना चाहते हैं.
जोशीमठ के 723 घरों में आ चुकी दरारें
जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं के चलते अब तक 723 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. 131 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया जा चुका है. इनमें 10 ऐसे परिवार हैं, जिनके आशियाने पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि प्रशासन ने उन्हें महज 1.30 लाख की धनराशि दी है. वहीं उचित मुआवजा ने मिलने के कारण लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
बुलडोजर से नहीं गिराए जाएंगे घर
जोशीमठ में जिन घरों में दरारें आ चुकी हैं और जो रेड जोन में आ गए हैं, उन्हें जल्द ही उन्हें गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. प्रशासन ने बुधवार को जानकारी दी कि किसी भी इमारत को गिराने के लिए बुलडोजर जैसी किसी भी हैवी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जिससे जमीन के हिलने या झटके आने का खतरा हो. इमारतों-घरों को तोड़ने के लिए हथौड़े, ड्रिलर्स और अन्य समान उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा.
रोक दिया गया है NTPC का प्रोजेक्ट
जोशीमठ में भू-धंसाव को घटनाओं के कारण एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल के अंदर का काम रोक दिया गया है. प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्य, जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी रोक दिया गया है. वहीं NTPC का कहना है कि वह जोशीमठ शहर के नीचे सुरंग का निर्माण नहीं कर रहा है. सुरंग की वजह से जोशीमठ की जमीन नहीं धंस रही है.