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तबाही की कगार पर जोशीमठ, कांग्रेस ने कहा- रिक्टर पैमाने पर 2 तीव्रता के भूकंप से तबाह हो जाएगा शहर

जोशीमठ में 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. लोग डरे हुए हैं और शहर को बचाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं. इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस की प्रवक्ता ने अपनी चिंता जाहिर की है. अगर, जल्द कुछ नहीं किया गया, तो जोशीमठ पूरी तरह से तबाह हो जाएगा.

जोशीमठ के 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. इससे लोग डरे हुए हैं. जोशीमठ के 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. इससे लोग डरे हुए हैं.
अंकित शर्मा
  • जोशीमठ,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले के जोशीमठ के लोग दहशत में जी रहे हैं. यहां शनिवार 24 दिसंबर को लोग सड़कों पर उतर आए. क्यों? क्योंकि जोशीमठ (Joshimath) के कई इलाकों में लोगों के मकान जमीन के अंदर धंस रहे हैं. दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा कई दिनों से हो रहा है. 

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जोशीमठ में 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. हर दिन जोशीमठ के अलग-अलग वार्डों से घरों में दरार आने की खबर मिल रही है. लोग डरे हुए हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता हो रही है. लोगों का कहना है कि यहां बनने वाली तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की टनल यानी सुरंग के कारण जोशीमठ में जमीन धंस रही है.

हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं 

वहीं, इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी बयान दिया है. उन्होंने जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव पर कहा कि हम इस स्थिति को देख रहे हैं. इसके लिए विशेष भू-वैज्ञानिकों की टीम बनाई गई है, जो लगातार निगरानी कर रही है. 

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जोशीमठ में आ सकती है बड़ी आपदा- सामाजिक कार्यकर्ता  

वहीं, उत्तराखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने इस मामले में चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में जिस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं, उस पर जल्दी ही अगर संज्ञान नहीं लिया गया, तो एक बड़ी आपदा हो सकती है. 

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जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों बहुत तेजी से नुकसान में इजाफा हुआ है. इस पर त्वरित करवाई करने की जरूरत है. वहा के स्थानीय लोग भी लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं. यह इलाका समुद्र तल से करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और सिस्मिक जोन 5 में आता है. यानी प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से काफी संवेदनशील है. 

यहां पिछले कुछ दिनों में भूधंसाव में काफी तेजी आई है. उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने किया था, उसमें कहा था कि घरों में आ रही दरारें शहर की कमजोर बुनियाद के कारण आ रही हैं. इसके अलावा तमाम कारण उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इंगित किए थे. इसमें कंस्ट्रक्शन, शहर की कैपेसिटी और नदी के कारण होने वाला कटाव शामिल है. 

खत्म हो सकता है जोशीमठ का अस्तित्व- कांग्रेस प्रवक्ता 

कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा गसौनी का कहना है उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्रीनाथ विराजते हैं. मगर, उसके पास स्थित जोशीमठ का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है. यदि रिक्टर स्केल पर 2 डिग्री का भूकंप आता है, तो पूरा जोशीमठ तबाह हो जाएगा. पूरा शहर जमींदोज होने की कगार पर है. इसके बाद भी सरकार गूंगी-बहरी बनी हुई है. 

क्या कहता है आपदा विभाग? 

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इस मामले में उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. पीयूष रौतेला से ‘आजतक’ ने बात की. उन्होंने बताया कि आपदा विभाग जोशीमठ में हो रहे धंसाव के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिकों की टीम लेकर गई थी, जो वहां की स्थिति की स्टडी करके आई है. 

उन्होंने कहा कि जोशीमठ की स्थित के हिसाब वहां पर भार अत्याधिक हो गया है और नदी किनारे से मलबा लगातर धंस रहा है. हमारी टीम अलकनंदा के किनारे सुरक्षा दीवार भी बनाएगी. पानी जब ज्यादा बढ़ता है तो मिट्टी का धंसना शुरू हो जाता है. 

हमारी टीम ने सर्वे किया और काम को दो भागों में बांटा गया है. पहला, अलकनंदा का तटबंधन कैसे किया जाए, उसकी तैयारी चल रही है. दूसरा, वहां पानी ज्यादा जमा न हो, इसके लिए भी सिंचाई विभाग डीपीआर तैयार कर रहा है. 

टनल प्रोजेक्ट को हमें समझना होगा और स्लोप हो रहा है, तो उस एंगल को जांचना होगा, जिसे हम एंगल ऑफ रेपोस कहते हैं. कहीं पर भी इंफ्रास्ट्रक्चर का काम होता है, तो स्लोप को कंट्रोल करना जरूरी होता है. जब भी रोड बनाते हैं, तो देखना है कि अपर स्लोप को कंट्रोल करना जरूरी होता है. 

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