Advertisement

मां-बेटी पर झपटा तेंदुआ, तभी ढाल बनकर सामने आ गया पालतू कुत्ता, 30 मिनट तक लड़कर बचाई जान!

उत्तराखंड के बागेश्वर में रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक तेंदुए ने घर में घुसकर मां-बेटी पर हमला कर दिया, उसी दौरान हमले के बीच फैमिली का पालतू कुत्ता ढाल बनकर सामने आ गया. कुत्ते ने करीब 30 मिनट तक तेंदुए से जमकर लड़ाई लड़ी और आखिरकार उसे भगाने में कामयाब रहा. इससे मां-बेटी की जान बच गई. घटना के बाद वन टीम मौके पर पहुंची.

पिंजरे में कैद तेंदुआ. (Screengrab) पिंजरे में कैद तेंदुआ. (Screengrab)
जगदीश पाण्डेय
  • बागेश्वर,
  • 05 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

उत्तराखंड के बागेश्वर (Bageshwar) के काफोली गांव में खौफनाक घटना सामने आई है. यहां देर रात एक तेंदुए ने घर में घुसकर मां-बेटी पर हमला कर दिया. तभी उनके पेट डॉग ने बहादुरी दिखाई और आधे घंटे तक तेंदुए से भिड़ा रहा. इससे महिला और उसकी बेटी की जान बच गई. घटना के बाद वन विभाग ने घायल तेंदुए को पिंजरे में कैद कर लिया है.

Advertisement

जानकारी के अनुसार, यह घटना 5 मार्च की रात करीब 8 बजे की है. त्रिलोक चंद्र पांडे के घर में उनकी पत्नी 45 वर्षीय कमला देवी और 15 साल की बेटी रसोई में मौजूद थीं. उसी दौरान अचानक तेंदुए का एक बच्चा घर में घुस आया और उन पर हमला कर दिया. कमला देवी ने हिम्मत दिखाते हुए बेटी को पीछे धकेला, लेकिन भागने के दौरान दोनों गिर पड़ीं, जिससे कमला देवी के जबड़े में फ्रैक्चर हो गया और विजया को मामूली चोटें आईं.

यह भी पढ़ें: स्कूल में घुसा खूंखार तेंदुआ, फॉरेस्ट टीम पर किया हमला... दहशत के बीच रेस्क्यू टीम ने ट्रैंक्विलाइज कर पकड़ा

तेंदुए के हमले को देखते ही परिवार का पेट डॉग अपनी मालकिन और उनकी बेटी को बचाने के लिए टूट पड़ा. उसने तेंदुए के शावक को बुरी तरह काटना और झपटना शुरू कर दिया. दोनों के बीच आधे घंटे तक जबरदस्त लड़ाई चली. आखिरकार घायल तेंदुआ रसोई के दरवाजे के पास रखे भारी लोहे के चूल्हे से टकरा गया और फंस गया.

Advertisement

इसके बाद घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी. वन रेंजर श्याम सिंह करायत के नेतृत्व में बचाव दल मौके पर पहुंचा और तेंदुए के शावक को पकड़ लिया. रेंजर ने बताया कि कुत्ते के काटने की वजह से तेंदुए को कई गंभीर चोटें आई हैं.

वहीं तेंदुए के हमले में घायल कमला देवी और विजया को 14 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उपयुक्त इलाज न होने के कारण उन्हें प्राथमिक उपचार देकर वापस घर भेज दिया गया. उन्हें अगली सुबह लौटने की सलाह दी गई. त्रिलोक चंद्र पांडे का कहना है कि इलाके में 12 से अधिक तेंदुए घूम रहे हैं, जिससे दिन में भी बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है. वन विभाग ने भी स्वीकार किया है कि बागेश्वर में लगातार तेंदुए के हमले बढ़ रहे हैं, जिससे लोगों में डर बना हुआ है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement