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'कई बार UP पुलिस निर्दोष को गिरफ्तार कर लेती है', काशीपुर फायरिंग पर भिड़ा उत्तराखंड प्रशासन

पिछले दिनों यूपी की मेरठ पुलिस ने एक खनन माफिया को पकड़ने के लिए उत्तराखंड के काशीपुर में छापेमारी की थी. इस दौरान हुई फायरिंग में एक स्थानीय बीजेपी नेता की पत्नी की मौत हो गई थी. यूपी पुलिस ने दावा किया था कि उस पर हमला हुआ. वहीं, महिला के परिजनों का कहना था कि पुलिस फायरिंग में मौत हुई.

उत्तराखंड के काशीपुर में गैंगस्टर को पकड़ने गई यूपी पुलिस पर हमला हुआ था. उत्तराखंड के काशीपुर में गैंगस्टर को पकड़ने गई यूपी पुलिस पर हमला हुआ था.
aajtak.in
  • देहरादून/लखनऊ,
  • 18 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:06 AM IST

उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड पुलिस काशीपुर फायरिंग केस को लेकर आमने सामने है. अब इसे लेकर उत्तराखंड के एक अधिकारी ने यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उत्तराखंड के अतिरिक्त प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि कई बार उत्तराखंड पुलिस निर्दोष व्यक्तियों को पकड़ती है और दावा करती है कि वे दोषी हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस ने उत्तराखंड के अधिकारी के बयान को गैर-जिम्मेदार बताया. 

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दरअसल, पिछले दिनों यूपी की मेरठ पुलिस ने एक खनन माफिया को पकड़ने के लिए उत्तराखंड के काशीपुर में छापेमारी की थी. इस दौरान हुई फायरिंग में एक स्थानीय बीजेपी नेता की पत्नी की मौत हो गई थी. यूपी पुलिस ने दावा किया था कि वह इनामी बदमाश जफर को पकड़ने गई थी. इस दौरान वह एक घर में घुस गया. जब पुलिस उस घर में घुसी तो उनपर हमला किया गया. इस दौरान फायरिंग हुई. पुलिसकर्मियों को बंधक बनाया गया. 

वहीं, मृतक महिला के परिजनों का आरोप है कि पुलिस की गोली से मौत हुई. इस दौरान 4 पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए थे. उधर, उधम सिंह नगर के एसएसपी ने दावा किया था कि यूपी पुलिस ने छापेमारी से पहले उत्तराखंड पुलिस को जानकारी नहीं दी थी. इसके बाद जफर को उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया था. 

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समाचार एजेंसी के मुताबिक, उत्तराखंड की अतिरिक्त प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मामलों की सही तरीके से जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए, निर्दोष को नहीं. उन्होंने कहा कि कई बार यूपी पुलिस निर्दोष को गिरफ्तार कर लेती है और दावा करती है कि वे दोषी हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. एक बेगुनाह को पकड़ने से 99 गुनाहगार पैदा होते हैं.

वहीं, इस बयान को उत्तर प्रदेश सरकार ने गैर जिम्मेदार बताते हुआ कहा कि एक अधिकारी को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. यूपी एडिशनल डायरेक्टर जनरल (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उत्तराखंड के अतिरिक्त प्रमुख सचिव का बयान सुना. उन्होंने ये बयान बिना तथ्य को जाने दिया. किसी भी अधिकारी को ऐसे बयानों से बचना चाहिए, खासकर जब वह देश के सबसे बड़े और संवेदनशील राज्य के मामले से जुड़ा हो. 

प्रशांत कुमार ने कहा कि यह बयान दुखद है और तथ्यों पर आधारित नहीं है. उन्होंने पूछा कि क्या कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए मुख्तार अंसारी और विजय मिश्रा अतिरिक्त प्रमुख सचिव को निर्दोष लगते हैं? क्या एक खनन माफिया जफर, जो वॉन्टेड है या उधम सिंह नगर का वरिष्ठ ब्लॉक प्रमुख है, क्या उन्हें निर्दोष लगते हैं. हालांकि, बाद में राधा रतूड़ी ने कहा कि उनका ये मतलब नहीं था. सभी राज्यों की पुलिस अच्छा काम कर रही है. कई बार यूपी और उत्तराखंड पुलिस मामलों को सुलझाने के लिए साथ में काम करती है. 
 

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