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देहरादून: 'मंकीपॉक्स के मरीज की 21 दिन तक की जाए निगरानी', उत्तराखंड ने जारी की गाइडलाइन

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मंकीपॉक्स को लेकर चेतावनी जारी कर चुका है. उसने कहा है कि जिन देशों में यह संक्रमण नहीं फैला है, वहां मंकीपॉक्स के और अधिक मामले सामने आ सकते हैं. मंकीपॉक्स उन लोगों में फैल रहा है जो किन्हीं कारणों से फिजिकल कॉन्टैक्ट में आए हैं. 

मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ भी दे चुका है चेतावनी (फाइल फोटो) मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ भी दे चुका है चेतावनी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • देहरादून,
  • 31 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:49 AM IST
  • मरीज के संपर्क में आने वालों की भी होगी निगरानी
  • देश में अभी तक नहीं मिला है मंकीपॉक्स का केस

दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे के बीच उत्तराखंड सरकार ने एहतियात बरतते हुए गाइडलाइन जारी कर दी गई है. इसके मुताबिक मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की निगरानी की जाएगी. संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी या उनकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम संपर्क में आने के बाद 21 दिनों तक रोज निगरानी की जानी चाहिए.

कई देशों में तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेशानुसार उत्तराखंड सरकार ने मंकीपॉक्स के प्रबंधन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. हालांकि सरकार ने दावा किया है कि देश में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है. 

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1958 में मंकीपॉक्स का बंदरों में चला था पता

मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है जो चेचक के समान तो है लेकिन उससे कम गंभीर है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीन से संबंधित है. 1958 में बंदरों में दो चेचक जैसी बीमारियों का पता लगा था, उनमें से ही एक मंकीपॉक्स था.

जानवरों से इंसानों में फैलता है यह वायरस

चेंबूर के जैन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में कंसल्टिंग फिजिशियन और इंफेक्शन स्पेशलिस्ट डॉ. विक्रांत शाह के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक जूनोसिस डिसीज है जो अफ्रीका में ज्यादातर जानवरों से इंसानों में फैलती है.

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छींक, लार के संपर्क में आने से फैल सकता है

हिंदुजा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंट खार में इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. राजेश जरिया के मुताबिक, वायरस अति सूक्ष्म जीव होते हैं. कई बार शारीरिक दूरी भी वायरस को रोक नहीं पाती और यह बेहद सूक्ष्म कणों के जरिए भी एक जीव से दूसरे जीव में चले जाते हैं.

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मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों या संक्रमित मनुष्यों के शरीर से निकले फ्लूड (छींक, लार, पस आदि) के संपर्क में आने से फैल सकता है और इसलिए ही यह इतनी तेजी से फैल रहा है. इस वायरस के फैलने की अनुमानित दर 3.3 से 30 प्रतिशत है. हालांकि, कांगो में हाल में फैले मंकीपॉक्स संक्रमण के फैलने की दर 73 प्रतिशत थी.

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जिमी व्हिटवर्थ के मुताबिक मंकीपॉक्स का वायरस किसी सर्फेस, बिस्तर, कपड़े या सांस के द्वारा अंदर जा सकता है. लेकिन त्वचा से त्वचा के संपर्क से इस वायरस से संक्रमण फैलाना सबसे असान है. शायद यह वायरस सेक्सुअली तेजी से फैल रहा है और इसका पता लगाने की जरूरत है. क्योंकि यदि ऐसा सच में है तो यह वायरस फैलने का नया तरीका है.

बुखार-सिरदर्द, शरीर पर दाने होने हैं इसके लक्षण

मंकीपॉक्स , चेचक की तुलना में हल्का होता है. इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, शरीर पर दाने और फ्लू जैसे होते हैं. ये लक्षण अपने आप ही 3 हफ्ते के अंदर चले जाते हैं. इसके अलावा मंकीपॉक्स शरीर में लिम्फ नोड्स या ग्रंथियों को भी बढ़ा देता है.

मंकीपॉक्स के संपर्क में आए अधिकतर लोगों को केवल बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान का अनुभव हुआ है. अगर संक्रमण अधिक गंभीर होता है तो चेहरे और हाथों पर दाने और घाव हो सकते हैं जो धीरे-धीरे शरीर के बाकी हिस्सों में फैल सकते हैं.

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मंकीपॉक्स का क्या है इलाज?

वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों को अक्सर चेचक टीकों में से कुछ खुराक दी जाती हैं, क्योंकि अभी यही मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी दिखा है. इसके अलावा, साइंटिस्ट एंटीवायरल दवाएं बनाने में भी लगे हुए हैं. यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ने सभी संदिग्ध मरीजों को अलग रखने और अधिक जोखिम वाले लोगों को चेचक के टीके लगाने की सिफारिश की है.

(इनपुट: अंकित)

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