
उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित विश्व प्रसिद्ध सरोवर नगरी नैनीताल की झील का जल स्तर इन दिनों तेजी से कम हो रहा है. जिसके चलते झील के चारों तरफ अब डेल्टा उभरने लगे हैं. साथ ही झील की सुंदरता पर ग्रहण भी लगने लगा है. बीते अक्टूबर माह से अब तक नैनीताल में बारिश और बर्फबारी औसत की अपेक्षा 90 प्रतिशत से कम हुई है जिसके चलते नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्र में सूखे के हालात बनने लगे हैं.
बारिश का नैनीताल पर इतना गहरा असर पड़ा है कि झील का जलस्तर बीते 5 साल में सबसे कम स्तर पर जा पहुंच गया है. अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में नैनीताल में स्थानीय लोगों के सामने पेयजल संकट खड़ा हो जाएगा. इतना ही नहीं मई-जून में गर्मियों के दौरान पर्यटन सीजन में पर्यटकों को भी पेयजल की कमी से जूझना पड़ सकता है. नैनी झील का रखरखाव करने वाले सिंचाई विभाग के अधिकारियों की माने तो नैनीताल झील में पिछले चार सालों में मार्च माह में सबसे कम है.
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पिछले 6 वर्षों में मार्च माह में नैनी झील का जलस्तर
नैनीताल झील के गिरते जल स्तर और डेल्टा के उभरने के पीछे कई कारण हैं. जिसमें सबसे बड़ा कारण नैनी झील के वेटलैंड पर अत्यधिक निर्माण कार्य है. वहीं, दूसरा कारण जलवायु परिवर्तन के चलते बारिश और बर्फबारी में कमी भी है. यही वजह है कि झील का जलस्तर सूख रहा है. साथ ही नैनीताल शहर में बढ़ती आबादी और पर्यटन के कारण जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है. झील के आसपास के क्षेत्र में वृक्षों की कटाई और भूमि के अतिक्रमण के कारण झील के जल संचयन में कमी आ रही है.
ऐसे सुधर सकती है झील की स्थिति
झील की स्थिति को सुधारने के लिए जल संचयन, वर्षा जल संचयन और झील के आसपास के क्षेत्र में वृक्षारोपण जैसे उपायों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इसके अलावा, झील के प्रबंधन में सुधार और जल संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक व्यापक योजना बनाने की आवश्यकता है.