
उत्तराखंड से तीन तलाक का एक मामला सामने आया है. जहां एक महिला को उसके पति ने 31 जुलाई को तीन तलाक दे दिया. मामले में देहरादून की एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने कहा कि संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है. वहीं अब आगे की जांच की जाएगी. बता दें कि तीन तलाक बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है.
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को ही तीन तलाक पर कानून बनने के बाद हरियाणा में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी. दरअसल, मेवात के नूंह की रहने वाली साजिदा ने अपने पति सलाहुद्दीन के खिलाफ 'दि मुस्लिम विमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट एंड मैरिज एक्ट' 2019 के तहत मामला दर्ज कराया है.
महिला का आरोप है कि उसने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में प्रताड़ना की शिकायत की थी. इससे नाराज होकर पति ने फोन पर तीन तलाक दे दिया.बता दें तीन तलाक पर भारत में अपराध है. तीन तलाक बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है.
क्या है तीन तलाक पर कानून और इसके प्रावधान
अगर मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा. तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.
महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है. एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.
मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे. तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा. तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी. नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है.