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केदारनाथ मंदिर में लगा सोना असली या नकली? जांच की मांग लेकर आमरण अनशन पर बैठे तीर्थ पुरोहित

उत्तराखंड के केदारनाथ में चार प्रमुख मांगों को लेकर तीर्थ पुरोहित आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. इन पुरोहितों की मांग है कि मंदिर के अंदर लगाए गए सोने की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. इसके अलावा नए भवनों को तीर्थ पुरोहितों को सौंपने, तीर्थ पुरोहित समाज और केदारनाथ के स्थानीय लोगों को भूमि का अधिकार देने की मांग की है.

केदारनाथ में अनशन पर बैठे पुरोहित केदारनाथ में अनशन पर बैठे पुरोहित
प्रवीण सेमवाल
  • केदारनाथ,
  • 18 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

उत्तराखंड के केदारनाथ में अपनी चार मांगों को लेकर केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है. पहले चरण में संदीप सेमवाल और रमेश चंद्र तिवारी ने आमरण अनशन शुरू किया है जबकि अन्य तीर्थ पुरोहित भी वहां मौजूद हैं.

अनशन कर रहे पुरोहितों की मांग है कि 2013 में आई आपदा में बहे भवनों के स्थान पर बनाए गए नए भवनों को तीर्थ पुरोहितों को सौंपने, तीर्थ पुरोहित समाज और केदारनाथ के स्थानीय लोगों को भूमि का अधिकार देने, केदारनाथ में चल रहे कार्यों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने और केदारनाथ मंदिर के भीतर लगे सोने की उच्चस्तरीय जांच की जाए.

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इन्हीं चार मांगों को लेकर तीर्थ पुरोहित आमरण अनशन पर बैठे हैं. तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों का कहना है की जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. अपनी मांगों को लेकर वह किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेंगे.  केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा की जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, उनका आंदोलन जारी रहेगा. 

रास्ते में यात्रियों से बदसलूकी

बता दें कि अभी केदारनाथ यात्रा का दूसरा चरण चल रहा है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए वहां पहुंच रहे हैं. हालांकि इस दौरान पैदल यात्रियों को दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. पैदल मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े खच्चरों को लेकर शिकायत हो रही हैं. 

पैदल मार्ग पर एक यात्री पति- पत्नी ने गौरीकुंड से घोड़ा खच्चर बुक किया था. रास्ते में दंपति ने घोड़ा रोकने के लिए कहा, लेकिन संचालक ने घोड़ा नहीं रोका और यात्री के साथ अभद्रता करते हुए गाली दे दी. मौके पर सेक्टर अधिकारी ने घोड़े खच्चर संचालक के खिलाफ कार्रवाई की थी. 

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वहीं, केदारनाथ घोड़ा खच्चर ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों ने सुबह चार बजे से 11 बजे तक स्थानीय लोगों के घोड़े खच्चर संचालित करने की मांग की है. साथ ही आरोप लगाया कि बाहरी जिलों के जो घोड़े खच्चर सामान ढोने का कार्य कर रहे हैं, वो वापसी में बिना पर्ची काटे ही सवारियों को भी ला रहे हैं और बिना लाइसेंस के भी संचालित हो रहे हैं. 

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