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दर्द से तड़पती रही गर्भवती, रात भर घने जंगल में चलना पड़ा पैदल, 5 घंटे बाद पहुंची अस्पताल

धनौल्टी के एक गांव में सड़क ना होने के चलते गर्भवती महिला 5 घंटे पैदल चलकर अस्पताल पहुंची. महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी, लेकिन डिलीवरी के लिए उसे रात 11 बजे पैदल ही अस्पताल के लिए निकलना पड़ा. सुबह 4 बजे महिला और उसका पति धनौल्टी पहुंचे. फिर गाड़ी से उसे मसूरी अस्पताल ले जाया गया.

अंजू देवी अंजू देवी
कृष्ण गोविंद कंसवाल
  • टिहरी गढ़वाल,
  • 27 जून 2022,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST
  • महिला ने प्रसव पीड़ा में पैदल तय किया रास्ता
  • 5 घंटे पैदल चलने के बाद पहुंची धनौल्टी

उत्तराखंड में टिहरी जिले के धनौल्टी में प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला देर रात 5 घंटे का पैदल सफर तय करके अस्पताल पहुंची. मामला लग्गा गोठ गांव का है. अंजू देवी को देर रात अचानक से प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत थी, लेकिन गांव से अस्पताल काफी दूर है और वहां सड़क भी नहीं है. दर्द सहते हुए अंजू देवी पति के साथ रात को 5 घंटे का पैदल तय करके अस्पताल तक पहुंची.

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अस्पताल पहुंचने के लिए अंजू देवी को जंगल और उबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए आना पड़ा. पति सोनू गौड़ के साथ अंजू देवी रात 11 बजे घर से निकली. फिर अल सुबह 4 बजे वे लोग धनौल्टी पहुंचे. फिर उसे गाड़ी से मसूरी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पहुंचते ही उसका प्रसव हो गया. अंजू देवी की नॉर्मल डिलीवरी हुई और उसने बेटे को जन्म दिया.

जा चुकी है कई लोगों की जान
सोनू गौड़ ने अपनी पीड़ा को रात्रि में वीडियो के माध्यम से समस्त जनप्रतिनिधियों और सरकारी नुमाइंदों तक पहुंचाने का प्रयास किया. सोनू ने कहा कि सरकार विकास के दावे तो बहुत करती है लेकिन हकीकत यह है कि हम आजादी के बाद भी गुलामी की राह झेल रहे हैं. सड़क ना होने के कारण लोगों को आज भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले भी धनौल्टी के लग्गा गोठ क्षेत्र में इलाज के लिए जा रहे कई लोगों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

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250 से ज्यादा लोग रहते हैं यहां
बता दें, धनौल्टी के लग्गा गोठ ग्राम क्षेत्र के अंतर्गत चूलीसैंण चोरगढ़, झालकी, पिरियांणा आदि तोकों में लगभग 250 से अधिक लोग रहते हैं. यह विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी धनौल्टी से लगा हुआ क्षेत्र है, जहां पर उच्च अधिकारियों और राजनेताओं का आना-जाना लगा रहता है. सड़क की मांग को लेकर लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों ने गुहार भी लगाई, लेकिन वादों के सिवा कुछ भी हाथ ना लगा. अब इसका खामियाजा गांव की जनता को ऐसे भुगतना पड़ रहा है.

 

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