UCC बिल उत्तराखंड विधानसभा में पेश, लगे जय श्रीराम के नारे, शादी-तलाक और उत्तराधिकार पर बदल जाएंगे नियम
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधानसभा सदन में पेश कर दिया है. विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के बाद विधेयक बन जाएगा और फिर इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. विधानसभा में बिल पेश करने से पहले विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं और बिल पर चर्चा करने की मांग कर रहे हैं.
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी. (फोटो सोर्स- @ukcmo)
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधानसभा सदन में पेश कर दिया है. बिल पर चर्चा की मांग को लेकर विधानसभा में हंगामा कर रहा है. वहीं, विपक्ष के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.
उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी विधेयक पास होने के बाद कानून बन जाएगा. इसके साथ ही उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य बना जाएगा. सूत्रों का कहना है कि मसौदे में 400 से अधिक धाराएं शामिल हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है.
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी और बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है.
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा.
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी प्रदान करनी होगी.
विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है.
मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी.
पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी.
नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा.
पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा.
अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा.
पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है.
मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी. इसके बाद में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था. आपको बता दें कि गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है.