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उत्तराखंड में जल्द लागू होगा UCC, विधानसभा में होने जा रहा पेश: पुष्कर सिंह धामी

नए कानून के तहत तलाक सिर्फ कानूनी प्रक्रिया से ही होगा. यानी देश में तलाक़ के सारे धार्मिक तरीके अवैध होंगे. इस्लाम या किसी अन्य मजहब में प्रचलित तीन तलाक तो पहले ही सुप्रीम कोर्ट और फिर संसद से भी अमान्य और दंडनीय अपराध हो गया है.

पुष्कर सिंह धामी-फाइल फोटो पुष्कर सिंह धामी-फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. धामी ने साध्वी ऋतंभरा के 'संन्यास' के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में वृन्दावन के वात्सल्य ग्राम में आयोजित षष्ठी पूर्ति महोत्सव में कहा कि विधेयक को मंजूरी के लिए जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा. यूसीसी सभी धर्मों के लोगों के लिए व्यक्तिगत कानूनों का एक सामान्य कोड है.

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विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए, उन्होंने कहा कि "राम भक्तों" पर गोलीबारी के लिए जिम्मेदार लोगों ने कभी भी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं किया होगा, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त नहीं किया होगा या तीन तलाक को समाप्त नहीं किया होगा.

धामी ने कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रतिबद्धता 22 जनवरी को पूरी होगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के अभिषेक समारोह में भाग लेंगे.

साध्वी ऋतंभरा को "वात्सल्य" (स्नेह) और मातृत्व का प्रतीक बताते हुए, धामी ने उनकी लंबी उम्र की कामना की और कार्यक्रम में उपस्थित संतों का आशीर्वाद मांगा. धामी ने कहा, 'मैं राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान दिए गए उनके व्याख्यानों से प्रेरित हुआ.' उन्होंने कहा कि साध्वी ऋतंभरा के स्नेह और आशीर्वाद ने उन्हें और अधिक जोश और ताकत के साथ लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया.

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नए कानून से क्या बदलेगा?
नए कानून के तहत तलाक सिर्फ कानूनी प्रक्रिया से ही होगा. यानी देश में तलाक़ के सारे धार्मिक तरीके अवैध होंगे. इस्लाम या किसी अन्य मजहब में प्रचलित तीन तलाक तो पहले ही सुप्रीम कोर्ट और फिर संसद से भी अमान्य और दंडनीय अपराध हो गया है. नए कानून की जद में तलाक़ ए हसन और तलाक़ ए अहसन भी आएंगे. यानी तलाक के ये मनमाने और एकतरफा तरीके भी गैरकानूनी माने जाएंगे. 

बिना विवाह किए एक साथ रहने यानी लिव इन रिलेशनशिप में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने का भी प्रावधान नए दौर के नए कानून में है. लिव इन की जानकारी सरकार को तय प्रक्रिया और तय प्रारूप के तहत देनी होगी. यानी इनके भी रजिस्ट्रेशन का प्रावधान होगा. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के तहत ही लिव इन रिलेशन की जानकारी लड़का लड़की के माता पिता के पास भी जाएगी.

जानकारी न देने पर सज़ा का प्रावधान भी किया गया है. नए मसौदे में बहुविवाह, हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रावधान है. इसके अलावा लड़कियों के विवाह करने की न्यूनतम आयु में भी बदलाव किए जाने के संकेत हैं. इसे बढ़ा कर लड़कों के बराबर यानी 21 साल करने पर तो संशय है लेकिन उम्र इतनी तय की जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें.

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