
उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली में हुए हिमस्खलन में मांड़ा गांव में 54 मजदूर फंस गए थे. मजदूरों के बचाने के लिए रेस्क्यू कैंपेन जारी है. भारतीय वायुसेना के चीता हेलिकॉप्टर्स बचाव कार्य के तीसरे दिन भी अपना अभियान जारी रखे हुए हैं. अब तक कुल 53 लोगों को निकाला गया है, जिनमें कुल 46 लोग जिंदा हैं. वहीं, अब भी 3 मजदूर लापता बताए जा रहे हैं. मौतों की कुल तादाद 7 हो गई है. रेस्क्यू में सेना के 4 हेलिकॉप्टर्स के अलावा ITBP, BRO, SDRF और NDRF के 200 से ज्यादा जवान लगे हुए हैं.
अब तक 46 जिंदा श्रमिकों को जोशीमठ के आर्मी अस्पताल में इलाज के लिए लाया जा चुका है. रेस्क्यू किए गए श्रमिकों ने आजतक के साथ बातचीत में खौफनाक दास्तान बयां की है. श्रमिकों ने बताया कि वे अपने कैंप में थे, तभी अचानक सुबह एक तेज विस्फोट जैसी आवाज आई. इसके बाद तेज हवाओं के झोंके के साथ उनके कंटेनर हवा में उड़ गए. कुछ वक्त तक किसी को कुछ समझ नहीं आया. उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे बच पाना नामुमकिन था. फिर सेना और बचाव दल ने आकर रेस्क्यू किया.
रोड कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में काम रहे थे श्रमिक
सभी श्रमिक सीमा सड़क संगठन (BRO) के रोड कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. यह प्रोजेक्ट पूरे 12 महीने चलता रहता है. हालांकि, जब बर्फबारी और ठंड ज्यादा बढ़ जाती है, तो श्रमिक अपने कैंप में लौट आते हैं. मौसम साफ होने के बाद ही काम फिर से शुरू होता है.
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'अलकनंदा नदी के पास गिरे...'
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले मजदूर सत्य प्रकाश यादव ने बताया, "जैसे ही हम लोग सोकर उठे, एक बार हवा आई और उसके पांच मिनट बाद हादसा हुआ, बहुत भयानक था. हम कम से कम तीन सौ मीटर दूर अलकनंदा नदी के पास जाकर गिरे थे. हम खाईं में जाकर गिरे थे."
उन्होंने आगे बताया कि करीब पांच-दस मिनट बाद मैं ऊपर आया और बाहर निकला, इसके बाद हम 10-12 लोग आर्मी कैंप जाकर रुके थे. उसके बाद हमें हेलिकॉप्टर से जोशीमठ लाया गया.
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'धमाके जैसी आवाज, फिर तेज हवा...'
बलिया के रहने वाले एक मजदूर ने बताया, "अचानक सुबह के समय स्लाइड से बर्फ गिरने लगा.वहां पर छाती तक बर्फ था. धमाके जैसी आवाज आई और उसके बाद हवा बहुत तेज हो गई. पहले हम सुरक्षित जगह पहुंचे, उसके बाद सेना ने हमारी मदद की. बहुत मुश्किल से हम लोगों ने अपनी जान बचाई."
उत्तरकाशी के रहने वाले अभिषेक ने बताया, "बहुत तेज हवाएं चली थीं. हवा ने कंटेनर को उड़ाया और उसके बाद कुछ होश नहीं था. हम जहां पर गिरे थे, वहां से खुद निकलकर आर्मी गेस्ट हाउस तक चले गए थे."