
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मुलाकात की और उन्हें इस्तीफा सौंपा. रावत मार्च में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की वजह संवैधानिक संकट बताया है.
राजभवन पहुंचकर इस्तीफा सौंपने के बाद तीरथ सिंह रावत ने मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया. वहीं, बीजेपी ने शनिवार दोपहर को विधायकों की बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि इस बैठक में उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के नाम की चर्चा होगी.
इससे पहले, रावत ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश की थी. उन्होंने पत्र में कहा था कि आर्टिकल 164-ए के हिसाब से उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद छह महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो वहां पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं.
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले रावत- 20 हजार होंगी नियुक्तियां
तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा देने से कुछ देर पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि राज्य में 20 हजार नई नियुक्तियां की जाएंगी. हालांकि, इस दौरान जब उनसे इस्तीफे को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में रावत ने सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा की थी.
देहरादून जाएंगे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
उत्तराखंड विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर देहरादून जाएंगे. वहीं, पर बीजेपी विधायक दल की बैठक भी होनी है. पार्टी ने सभी विधायकों को देहरादून में मौजूद रहने के लिए कह दिया है.
बता दें कि उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में पिछले कुछ दिनों से लगातार सियासी हलचल चल रही थी. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दिल्ली तलब किया गया था, जिसके बाद उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी.
मार्च में बने थे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
तीरथ सिंह रावत को 10 मार्च को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था. उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह ली थी. त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ बीजेपी में ही विरोध के स्वर उठ रहे थे, जिसके बाद नई दिल्ली में हुईं बैठकों में मुख्यमंत्री बदलने का फैसला लिया गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तकरीबन चार साल तक बतौर मुख्यमंत्री राज्य की सत्ता संभाली थी.