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उत्तराखंड: देहरादून में पिछले एक महीने में 105 मवेशियों की मौत

देहरादून के केदारपुरम में बने कांजी हाउस की हालत गंदगी की वजह से बदतर हो गई है. यहां पर लगभग हर दिन एक मवेशी की मौत हो रही है. कई मवेशियों की तबियत खराब है और कई तो मरणासन्न हालत में हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • देहरादून,
  • 01 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार का गाय प्रेम किसी से छिपा नहीं है. यही कारण है कि उत्तराखंड विधानसभा में पिछले साल सितंबर में गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने वाला प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था. इस प्रस्ताव के पास होने के बाद राज्य सरकार ने खूब वाहवाही बटोरी थी. लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि उसी विधानसभा से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर केदारपुरम क्षेत्र में स्थित कांजी हाउस में पिछले कुछ माह में 105 मवेशियों  की मौत हो गई. मरने वाले पशुओं में कुछ गायें भी शामिल हैं. सरकार को इसकी खबर तक नहीं है.

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उत्तराखंड सरकार गौ संरक्षण और गाय सवंर्धन की बड़ी-बड़ी बातें तो लगातार कर रही है, लेकिन कांजी हाउस में बंद मवेशियों की हालत इतनी बदतर हो गई है कि देख-रेख के अभाव में लगातार इनकी मौत हो रही है. कांजी हाउस में बंद मवेशियों की दुर्दशा देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां इनका का रख-रखाव सही तरीके से नहीं किया जा रहा है.

देहरादून के केदारपुरम में बने कांजी हाउस की हालत गंदगी की वजह से बेहद खराब हो गई है. यहां पर रह लगभग हर दिन एक मवेशी की मौत हो रही है. कई मवेशियों की तबियत खराब है और कई तो मरणासन्न हालत में हैं. ऐसे में इन तमाम गायों व मवेशियों  के चारा, पानी और उचित देखभाल में इतनी लापरवाही से सवाल खड़ा होना लाजमी है. आपको बता दें कि शहर में जितने भी आवारा पशु घूमते हैं उनको नगर प्रशासन पकड़कर कांजी हाउस में रख लेता है.

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गौ सरक्षंण का दावा करने वाली प्रदेश की भाजपा शासनकाल में ही इस कांजी हाउस की शुरुआत की गई थी. दरअसल सड़कों पर घूमने वाले अनाथ पशुओं यानी सांड, गाय और बछड़ों को सड़कों से उठाकर देखभाल करने के उद्देश्य से ही इस कांजी हाउस की नींव रखी गई थी.

बावजूद इसके जिस उद्देश्य से इस कांजी हाउस की शुरुआत की गई थी, नगर निगम का सरकारी तंत्र उस उद्देश्य से पूरी तरह भटक गया है. इस वक्त कांजी हाउस में 435 मवेशी मौजूद हैं. जिनके खाने-पीने का इंतजाम करने के अलावा अन्य सुविधा मुहैया कराने का जिम्मा शहरी विकास के पास है. कांजी हाउस में मवेशियों की स्थिति को लेकर जब हमारी टीम ने मौके पर पहुंचकर, कांजी हाउस के कर्मचारियों से बात करनी चाही तो बातचीत करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ.

वहीं, जब इस पूरे मामले पर देहरादून नगर निगम के मेयर सुनील उनियाल गामा से सवाल किया तो वे इस बात से इनकार करते नजर आए. जब उन्हें जानकारी मिली तो कहा कि कांजी हाउस की देखरेख करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया. यही नहीं मेयर ने गाय व समस्त मवेशियों के  संरक्षण के प्रति संकल्प बद्ध होने की बात भी कही.   

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मौत के आंकड़े-

1 जुलाई- 3 मवेशी की मौत

3 जुलाई- 3 मवेशी की मौत

4 जुलाई- 4 मवेशी की मौत

5 जुलाई- 1 मवेशी की हुई मौत

7 जुलाई- 3 मवेशी की मौत

8 जुलाई- 5 मवेशी की मौत

10 जुलाई- 10 मवेशी की मौत  

11 जुलाई- 2 मवेशी की मौत

12 जुलाई- 2 मवेशी की मौत

15 जुलाई- 5 मवेशी की मौत

16 जुलाई- 1 मवेशी की मौत

17 जुलाई- 3 मवेशी की मौत

18 जुलाई- 2 मवेशी की मौत

19 जुलाई- 6 मवेशी की मौत  

20 जुलाई- 4 मवेशी की मौत

21 जुलाई- 4 मवेशी की मौत  

22 जुलाई- 4 मवेशी की मौत

23 जुलाई- 6 मवेशी की मौत  

24 जुलाई- 6 मवेशी की मौत

25 जुलाई- 2 मवेशी की मौत

26 जुलाई- 7 मवेशी की मौत  

27 जुलाई- 5 मवेशी की मौत  

28 जुलाई- 3 मवेशी की मौत

29 जुलाई- 1 मवेशी की मौत

30 जुलाई-  4 मवेशी की मौत

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