
उत्तराखंड के जोशीमठ में मंगलवार को एक्सपर्ट्स की टीम निरीक्षण करने पहुंची. चमोली जिले के जोशीमठ में कुछ दिनों से जमीन धंसने की घटना सामने आई है. इसके चलते यहां कई इलाकों में लोगों के मकान जमीन के अंदर धंस रहे हैं. दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. इसे लेकर लोग दहशत में हैं. इसे लेकर पिछले कुछ दिनों से जोशीमठ में लोग प्रदर्शन भी कर रहे हैं.
जोशीमठ को बद्रीनाथ का द्वार माना जाता है. यहां पिछले कुछ दिनों से जमीन धंस रही है. जोशीमठ में 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. घरों के अलावा दुकानों और होटलों की दीवारों में भी दरारें आ गई हैं. लोगों का कहना है कि यहां बनने वाली तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की टनल यानी सुरंग के कारण जोशीमठ में जमीन धंस रही है.
एक्सपर्ट्स ने लोगों से भी की बात
मंगलवार को 5 सदस्यों की टीम निरीक्षण करने पहुंची. टीम में वरिष्ठ अधिकारी, भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ और इंजीनियर्स शामिल हैं. टीम ने उन इमारतों का निरीक्षण किया, जिनमें दरारें आ गई हैं, साथ ही प्रभावित लोगों से बात की और जिला प्रशासन को इस बारे में जानकारी दी.
एक्शन में आया प्रशासन
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को एक स्ट्रक्चरल इंजीनियर से विचार करने के बाद तुरंत सुरक्षात्मक कार्य शुरू करने का निर्देश दिया. खुराना ने अधिकारियों से जोशीमठ के लिए जल निकासी योजना तैयार करने के लिए भी कहा है. डीएम ने अधिकारियों से जोशीमठ की तलहटी में मारवाड़ी पुल और विष्णुप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी से होने वाले कटाव को रोकने के लिए सुरक्षा दीवार के निर्माण के लिए आपदा न्यूनीकरण योजना के तहत प्रस्ताव बनाने को भी कहा.
इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि हम इस स्थिति को देख रहे हैं. इसके लिए विशेष भू-वैज्ञानिकों की टीम बनाई गई है, जो लगातार निगरानी कर रही है.
जोशीमठ में आ सकती है आपदा- सामाजिक कार्यकर्ता
उत्तराखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने इस मामले में चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में जिस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं, उस पर जल्दी ही अगर संज्ञान नहीं लिया गया, तो एक बड़ी आपदा हो सकती है.
जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों बहुत तेजी से नुकसान में इजाफा हुआ है. इस पर त्वरित करवाई करने की जरूरत है. वहा के स्थानीय लोग भी लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं. यह इलाका समुद्र तल से करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और सिस्मिक जोन 5 में आता है. यानी प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से काफी संवेदनशील है. यहां पिछले कुछ दिनों में भूधंसाव में काफी तेजी आई है.
उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने किया था, उसमें कहा था कि घरों में आ रही दरारें शहर की कमजोर बुनियाद के कारण आ रही हैं. इसके अलावा तमाम कारण उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इंगित किए थे. इसमें कंस्ट्रक्शन, शहर की कैपेसिटी और नदी के कारण होने वाला कटाव शामिल है.