
उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा में बजट पेश कर दिया. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और रूरल डेवलपमेंट पर जोर दिया है. बजट में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹1,01,175.33 करोड़ के कुल व्यय का अनुमान लगाया है, जिसमें से अधिकांश राशि वेतन, पेंशन और ऋण चुकाने में खर्च होगी. सरकार ने कुल प्राप्तियां ₹1,01,034.75 करोड़ आंकी हैं, जिसमें ₹62,540.54 करोड़ राजस्व प्राप्तियां और ₹38,494.21 करोड़ पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं. हालांकि, राज्य की वित्तीय स्थिति अभी-भी कर्ज और केंद्र सरकार की सहायता पर निर्भर है.
राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व ₹39,917.74 करोड़ है, जिसमें से ₹15,902.92 करोड़ केंद्र सरकार से मिलने वाले करों का हिस्सा है. राज्य के अपने स्रोतों से अनुमानित राजस्व ₹28,410.30 करोड़ है, जिसमें से ₹24,014.82 करोड़ कर राजस्व और ₹4,395.48 करोड़ गैर-कर राजस्व है.
कहां होगा कितना खर्च
राज्य सरकार के कर्ज की अदायगी पर ₹26,005.66 करोड़ खर्च होंगे, जबकि ब्याज भुगतान के रूप में ₹6,990.14 करोड़ देने होंगे. राज्य सरकार का एक बड़ा हिस्सा पुरानी देनदारियों को चुकाने में ही खत्म हो जाएगा.
इसके अलावा राज्य कर्मचारियों के वेतन और भत्तों पर ₹18,197.10 करोड़, सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों और अन्य कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर ₹1,447.26 करोड़ और पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों पर ₹9,917.40 करोड़ खर्च होंगे.
वित्तीय प्रबंधन के दृष्टिकोण से देखा जाए तो बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रशासनिक खर्चों में चला जाएगा, जबकि विकास कार्यों के लिए सीमित संसाधन बचेंगे. कुल अनुमानित व्यय में से ₹59,954.65 करोड़ राजस्व लेखे का व्यय है, जबकि ₹41,220.68 करोड़ पूंजीगत व्यय के रूप में प्रस्तावित है. सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य की आर्थिक आत्मनिर्भरता अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.