
बढ़ता तापमान उत्तराखंड के लिए आफत बन गया है. चार जिलों के जंगल बेतहाशा गर्मी के कारण आग की लपटों में घिर गए हैं. इतना ही नहीं आग की विकराल चिंगारी रिहाइशी इलाकों तक भी पहुंच गई है. जिससे बड़े नुकसान की आशंका जताई जा रही है.
गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों के जंगल सुलग रहे हैं. सबसे बुरा हाल श्रीनगर और हरिद्वार का है, जहां पिछले 5 दिनों में करोड़ों का नुकसान हो चुका है. आग बुझाने की तमाम कोशिशें भी नाकाम साबित हो रही हैं. वहीं, हल्द्वानी और बागेश्वर में भी घने जंगल जलकर राख हो गए हैं.
श्रीनगर
श्रीनगर में पिछले 5 दिनों से कई हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं. रविवार को जंगल की आग श्रीनगर के रिहायशी इलाकों मे पहुंच गई. श्रीनगर के पास श्रीकोट में सरकारी मेडिकल कॉलेज भी लपटों की जद में आ गया है लेकिन सुरक्षा के नाम पर कुछ पुलिसकर्मियों की तैनाती से पल्ला झाड़ लिया गया है. लोगों का कहना है कि धुंए से पूरा इलाका घिरा हुआ है और सांस लेने तक में दिक्कत हो रही है. इलाके में बिजली की लाइन और मोबाइल टावर क्षतिग्रस्त हो चुके है.
हरिद्वार के जंगल भी आग में खाक हो रहे हैं. गर्मी बढ़ने के साथ ही जंगल में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है. रविवार को अचानक मनसा देवी मंदिर की पहाड़ी पर जंगल में आग लग गई. देखते ही देखते आग की लपटों ने बड़े इलाके को आगोश में लेना शुरु कर दिया.
हल्द्वानी
श्रीनगर और हरिद्वार में जिस तरह की आग धधकी, ठीक वैसी ही लपटें हल्द्वानी में उठ रही हैं. यहां आग ने पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों को अपने आगोश में ले लिया है. कई हेक्टेयर जंगल में लगे पेड़ स्वाहा हो चुके हैं और आगे बर्बादी का खतरा अभी भी टला नहीं है.
कुमाऊं क्षेत्र के ही बागेश्वर इलाके में भी आग की लपटों से दहशत मची हुई है. बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील से सटे गांव जालेख के जंगल में भयंकर आग लगी हुई है. आग लगातार फैल रही है और विकराल रूप लेती जा रही है. जानवरों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है.
गर्मियों में उत्तराखंड के जंगलों में आग कोई नई बात नहीं है. लेकिन हैरानी ये है कि अबतक इसपर काबू पाने की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान तो हो ही रहा है. खतरा ये भी है कि कहीं इसकी चपेट में लोगों और जानवरों की जिंदगी ना आ जाए.