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उत्तराखंड के जंगलों में जारी आग का कहर, अधिकारियों की छुट्टियां रद्द

वन विभाग का कहना है कि आग की घटना से विभाग चिंतित है, इसपर काबू पाने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है. विभाग के मुताबिक, उनकी पूरी कोशिश जानवरों और जंगल को बचाना है.

सैकड़ों हेक्टेयर जंगल हुए तबाह सैकड़ों हेक्टेयर जंगल हुए तबाह
मोहित ग्रोवर
  • हल्द्वानी,
  • 23 मई 2018,
  • अपडेटेड 1:41 AM IST

उत्तराखंड में एक बार फिर जंगलों में आग लगने का संकट सामने आया है. पिछले कुछ दिनों में जंगलों में लगी आग लगातार फैलती जा रही है, आग ने पहाड़ी के साथ-साथ मैदानी क्षेत्र को भी अपने आगोश में ले लिया है. बिगड़ते हालात को देखते हुए अधिकारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं.

वन विभाग का कहना है कि आग की घटना से विभाग चिंतित है, इसपर काबू पाने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है. विभाग के मुताबिक, उनकी पूरी कोशिश जानवरों और जंगल को बचाना है. ग्रामीणों का मानना है कि जंगल की आग ग्रामीणों के जानकारी के अभाव के कारण भी लग रही है. कुछ लोग जलती हुई बीड़ी-सिगरेट को ही जंगलों में चलते हुए फेंक देते हैं, जिससे आग लगती है और बाद में फैल जाती है.

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कुमाऊ के जंगलों में लगी भीषण आग को देखते हुए वन विभाग अलर्ट पर है. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से कुमाऊ में बागेश्वर, भीमताल के जंगलों में भारी आग है. जंगलों में विकराल होती आग को देखते हुए  मुख्य वन संरक्षक ने खुद कमान संभाली है.

कुमाऊ दौरे पर निकले वन संरक्षक ने कहा कि अधिकारी पूरी तरह अलर्ट हैं और हालात नियंत्रण में है. आग पर नियंत्रण पाने के लिए वन विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों की छुट्टी पर भी रोक लगा दी गई है. वनों में लगातार लग रही आग को देखते हुए अल्मोड़ा में इसी सप्ताह एक पार्लियामेंट्री बैठक होगी, जिसमें सांसद भगत सिंह कोश्यारी भी शामिल होंगे.

चारधाम यात्रा पर संकट

जंगलों में लगी आग देवभूमि के 8 जिलों में आग भड़क गई है और चारधाम यात्रा पर भी इसका खतरा मंडराने लगा है. टिहरी झील के ऊपर धुएं के बड़े से गुबार से यात्रा मार्ग पर आग का जबरदस्त तांडव है. अब देश-विदेश से उत्तराखंड की धरती पर आ रहे हैं चारधाम यात्रियों को सुरक्षा मुहैया कराना सरकार के लिए चुनौती बन गया है.

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गर्मियों में उत्तराखंड के जंगलों में आग कोई नई बात नहीं है. लेकिन हैरानी ये है कि अबतक इसपर काबू पाने की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान तो हो ही रहा है. खतरा ये भी है कि कहीं इसकी चपेट में लोगों और जानवरों की जिंदगी ना आ जाए.

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