
उत्तराखंड को एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का शिकार होना पड़ा है. चमोली में हुए हादसे ने एक बार फिर लोगों का ध्यान पहाड़ों की चुनौतियों की ओर खींचा है. इस बीच वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट कहती है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पहाड़ों पर ग्लेशियर की झीलें तैयार हो रही हैं, जो इस तरह की आपदा का कारण बनती हैं. 2013 की त्रासदी में भी यही देखने को मिला था.
हैदराबाद के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर्स के वैज्ञानिकों ने साल 2015 में एक रिपोर्ट निकाली थी, जिसमें पता लगा था कि इन इलाकों में करीब 362 Glacial Lake ऐसी हैं जो खतरे की घंटी हैं. चिंता की बात ये है कि करीब दस साल में ऐसी झीलों की संख्या 235 तक बढ़ी है.
वैज्ञानिक सैयद इकबाल के मुताबिक, ‘सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि हिमालय के पूरे क्षेत्र में Glacial Lake बढ़ रही हैं. ये हर किसी की चिंता को बढ़ाता है, क्योंकि जितनी अधिक ऐसी लेक होंगी उतना ही खतरा बढ़ेगा और रविवार जैसी आपदा हो सकती हैं’
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सिर्फ Glacial Lake की संख्या नहीं बढ़ रही है बल्कि उनका आकार भी बढ़ रहा है. जो इस बात की ओर इशारा करता है कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लेशियर के पिघलने के कारण लगातार इस तरह की झीलों में बढ़ोतरी हो रही है. खासकर जिन जगहों पर लोगों की आबादी है या कोई मानवीय काम हो रहा है, वहां पर झीलों के आकार बढ़ रहे हैं जिनकी ओर अध्ययन किए जाने की जरूरत है.
हालांकि, अगर दूसरे पहलू को देखें तो इस तरह की झीलें आम जरूरतों को पूरा करने के लिए भी फायदेमंद होती हैं. जिसमें खेती, बिजली उत्पादन के लिए पानी लगातार मिलता है लेकिन फायदे से अधिक ये किसी तरह की आपदा को न्योता देते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में हमें ऐसी झीलों पर निगरानी करनी होगी, ताकि किसी खतरे को पहले से देखा जा सके. खासकर उन इलाकों में जहां लोगों का पहुंचना काफी मुश्किल होता है, ऐसे में तकनीक का सहारा लेना होगा.
आपको बता दें कि उत्तराखंड के चमोली में भी रविवार को ऐसी ही घटना देखने को मिली. जहां ग्लेशियर का टुकड़ा गिरने से अचानक पानी का बहाव तेजी से बढ़ गया और काफी कुछ बहता ही चला गया. इस घटना में अबतक कुल दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.