Advertisement

उत्तराखंड: पलायन रोकने के लिए सरकार ने उठाया कदम, शुरू की होम स्टे योजना

कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) सरकार की 'होम स्टे' योजना से उत्तराखंड से पलायन रोकने व सीमा सुरक्षा की समस्या का समाधान करने का सराहनीय प्रयास कर रहा है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
मोनिका गुप्ता/केशवानंद धर दुबे
  • नैनीताल,
  • 09 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) सरकार की 'होम स्टे' योजना से उत्तराखंड से पलायन रोकने व सीमा सुरक्षा की समस्या का समाधान करने का सराहनीय प्रयास कर रहा है.

बता दें कि उत्तराखंड में पलायन रोकना सरकार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. इसे रोकने में उत्तराखंड की अब तक की सरकारें फेल साबित हुई हैं.

दुर्गम गांवों से पलायन रोकने के लिए केएमवीएन ने पिथौरागढ़ जिले में होम स्टे योजना शुरू की है. इससे उन्होंने हिमालय से सटे गांवों के लोगों को रोजगार देने का सराहनीय प्रयास किया है ताकि पलायन रोका जा सके.

Advertisement

केएमवीएन के तत्वावधान में चलाई जा रही प्रदेश सरकार की होम स्टे योजना से अब पलायन की मार झेल रहे ग्रामीणों को घर पर रोजगार मिल गया है. वहीं इन घरों के जरिए शहरी चकाचौंध से दूर भागकर शांति की तलाश में निकल रहे सैलानियों को भी मन चाही मुराद मिल गई है.

उत्तराखंड में रुकेगा पलायन

केएमवीएन के प्रबंध निदेशक धीरज गर्ब्याल बताते हैं कि 40 घरों को दारमा, दांतू, नंगलिंग और दुगतु गांव में विकसित किया गया है. 20 घर नाबी में तैयार हैं. धारचूला के कुटी गांव में 15 मकानों को खूबसूरत ढंग से सजाया गया है. निगम की ओर से रजाई-गद्दा, बेड देने के साथ ही उनके घरों का पुनर्निर्माण भी किया गया है. इससे पलायन रुकेगा. इसकी वजह से उपजी सीमा सुरक्षा की समस्या का भी समाधान होगा.

Advertisement

योजना से 500 घरों को जोड़ने का लक्ष्य

उन्होंने बताया कि 500 घरों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 87 घरों का पंजीकरण हो चुका है. इनका जिक्र केएमवीएन की वेबसाइट पर है. इससे जुड़े ग्रामीणों को प्रशिक्षण के लिए सिक्किम और पोखरा नेपाल भेजा जाएगा.

योजना के तहत सैलानी अब चीन-तिब्बत सीमा से लगे दारमा और ब्यास घाटियों में जाकर ना केवल ग्रामीणों के साथ उनके घरों में रहकर वहां के जनजीवन का अनुभव और रोमांच ले पाएंगे. बल्कि रोजगार के अभाव में खड़ी पलायन व बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर पाएंगे. इससे यहां के ग्रामीण पलायन करने को मजबूर नहीं होंगे. देश की सीमाओं पर सेना में रहे बिना भी मानव दीवार के रूप में सीमा के सशक्त प्रहरी की भूमिका का निर्वाह करते रहेंगे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement