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जिम कॉर्बेट में क्यों बाघ और हाथियों के बीच चल रहा संघर्ष?

रिपोर्ट के मुताबिक, हाथी और बाघ के बीच संघर्ष का पहला मामला 23 जनवरी 2014 को हुआ था. इसमें जिम कॉर्बेट में हाथी और बाघ के बीच संघर्ष के बाद हाथी की मौत हो गई थी. दूसरा मामला 3 अप्रैल को कालागढ़ प्रभाग में हुआ था, इसमें भी हाथी और बाघ के बीच संघर्ष के चलते हाथी की मौत हो गई थी.

जिम कॉर्बेट में हाथी हो रहे बाघ का शिकार जिम कॉर्बेट में हाथी हो रहे बाघ का शिकार
आशुतोष मिश्रा
  • देहरादून, उत्तराखंड,
  • 15 जून 2019,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST

उत्तराखंड के मशहूर जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की एक अध्ययन रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है. टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर संजीव चतुर्वेदी की रिपोर्ट के मुताबिक,  जिम कॉर्बेट में हाथियों और बाघों के बीच कई संघर्ष हुए हैं.

इस संघर्ष में अब तक 21 जंगली हाथियों की मौत हो गई है, इसमें कई बाघ भी संघर्ष का शिकार हुए हैं. पिछले 5 सालों में हुए इस अध्ययन के बाद सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, 5 सालों में 9 बाघ और 6 तेंदुए भी संघर्ष के चलते मारे गए. हालांकि इनकी मौत हाथियों के साथ संघर्ष में नहीं हुई.

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2014 से हुई शुरुआत

रिपोर्ट के मुताबिक, हाथी और बाघ के बीच संघर्ष का पहला मामला 23 जनवरी 2014 को हुआ था. इसमें जिम कॉर्बेट में हाथी और बाघ के बीच संघर्ष के बाद हाथी की मौत हो गई थी. दूसरा मामला 3 अप्रैल को कालागढ़ प्रभाग में हुआ था, इसमें भी हाथी और बाघ के बीच संघर्ष के चलते हाथी की मौत हो गई थी.

संजीव चतुर्वेदी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट की कॉपी आज तक के पास मौजूद है. जो उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट रिजर्व फॉरेस्ट के बीच जानवरों में हो रहे ऐसे नए बदलाव पर व्यापक सवाल खड़े कर रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि बाघों के साथ संघर्ष में मारे जाने वाले हाथियों में ज्यादातर की उम्र बेहद कम थी.

ज्यादातर कम उम्र के हाथी हो रहे संघर्ष के शिकार

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संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक, कई मामलों में आपसी संघर्ष के बाद मारे गए हाथियों से एक से ज्यादा बाघ द्वारा मांस खाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 36 संघर्ष के मामलों में मारे जाने वाले 21 हाथी थे, लेकिन 60% हाथी यानी लगभग 13 मामलों में बाघों ने कम उम्र वाले हाथियों पर हमला किया.

क्या है वजह

रिपोर्ट कहती है कि बाघों में आया यह बदलाव शायद इसलिए भी है क्योंकि सांभर या चीतल जैसे दूसरे जानवरों पर हमला करने के मुकाबले कम उम्र के हाथियों पर हमला करना ज्यादा आसान है जिसमें बाघों की कम ऊर्जा लगती है. चतुर्वेदी का कहना है कि बाघों और दूसरे जंगली जानवरों के बीच आ रहे इस बदलाव पर और विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है.

शुरुआती अध्ययन में पाया गया कि इन मामलों के पीछे ज्यादातर वजह उनके इलाकों को लेकर थी. उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जंगली जानवरों की तादाद बेहद ज्यादा है और इसीलिए इनके बीच आ रहे पूरे बदलाव को समझने के लिए डायरेक्टर संजीव चतुर्वेदी की रिपोर्ट मामले पर ज्यादा विस्तृत अध्ययन का सुझाव दे रही है.

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