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केदारनाथ में मोदी ने याद किए 'संन्यास' के दिन, कहा- नहीं थी बाबा की मर्जी!

केदारनाथ के दर्शन-पूजने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि एक वक्त था, जब मैं यही रम गया था. वो पल कुछ और थे और आज जब कुछ पुराने लोग मिले तो उन दिनों की याद दिलाने लगे. वो समय कुछ और था, जब मैं यही रम गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नंदलाल शर्मा
  • हरिद्वार ,
  • 20 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को उत्तराखंड में थे, जहां उन्होंने नई केदारपुरी को बसाने के लिए पांच प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने हिमालय में बिताए अपने पुराने दिनों को भी याद किया. पीएम ने कहा कि मैं हिमालय की गोद में भटका हुआ इंसान हूं. इस इलाके की चेतना को अलग से महसूस किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक वक्त था, जब मैं यहीं रम गया था.

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क्या कहा PM मोदी ने

केदारनाथ के दर्शन-पूजने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि एक वक्त था, जब मैं यही रम गया था. वो पल कुछ और थे और आज जब कुछ पुराने लोग मिले तो उन दिनों की याद दिलाने लगे. वो समय कुछ और था, जब मैं यही रम गया था. शायद बाबा की इच्छा नहीं थी. एक बाबा क्या देश में सौ करोड़ बाबा हैं, उनकी सेवा करनी है.

क्या है हिमालय कनेक्शन

बता दें कि नरेंद्र मोदी के जीवन का एक पक्ष ऐसा है, जिसके बारे में लोग ज्‍यादा नहीं जानते. वो पक्ष है उनके हिमालय पर रहने का. मोदी के बारे में कहा जाता है कि उन्‍होंने अज्ञातवास के तौर पर कई साल हिमालय पर जाकर बिताए. उस दौरान उनके परिवार तक को नहीं पता था कि वो कहां हैं, जीवित हैं या नहीं और क्‍या कर रहे हैं?

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कैसे पहुंचे थे केदारनाथ?

नरेंद्र मोदी हिमालय प्रवास के दौरान केदारनाथ कैसे पहुंचे, इस बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है. इस दौरान की बातें मोदी ने कभी विस्तार से तो नहीं बताईं, लेकिन बेलूर मठ और हिमालय जाने की बात वो जगह-जगह मंचों से कहते रहे हैं.

अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक बेलूर मठ में कुछ समय बिताने के बाद मोदी हिमालय की ओर कूच कर गए थे, जहां वो कुछ समय उत्तराखंड में रहे. कहा जाता है कि हिमालय प्रवास के दौरान मोदी केदारनाथ के पास गरुड़चट्टी में रहे.

रामकृष्ण मिशन में क्यों नहीं मिली एंट्री?

कालिंदी रांदेरी और एम. वी. कामथ की किताब नरेंद्र मोदी: द आर्किटेक्‍ट ऑफ ए मॉडर्न स्‍टेट में बताया गया है कि प्रधानमंत्री को ग्रेजुएट ना होने के कारण रामकृष्‍ण मिशन में एंट्री नहीं मिली थी, इसके बाद वे हिमालय चले गए.

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