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नदी के तेज बहाव में गिर गया उत्तराखंड का ये पुल, देखें वीडियो

उत्तर भारत में हुई भारी बारिश से तबाही की तस्वीरें अबतक सामने आ रही हैं. उत्तराखंड के कोटद्वार से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि मालन नदी में पानी के तेज बहाव की वजह से पुल का एक हिस्सा गिर गया.

कोटद्वार में बह गया नदी पर बना पुल कोटद्वार में बह गया नदी पर बना पुल
विकास वर्मा
  • कोटद्वार,
  • 13 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

उत्तर भारत में हुई भारी बारिश के बाद कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से करीब तीन मीटर ऊपर बह रही है तो वहीं उत्तराखंड के कोटद्वार में मालन नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया गया है. यहां मालन के उफान में नदी पर बना पुल बह गया है. 

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उत्तराखंड में अभी भी भारी बारिश हो रही है. इस बीच कोटद्वार से एक ऐसा डरावना वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि मालन नदी में पानी के तेज बहाव की वजह से पुल का एक हिस्सा बह गया. 

उत्तराखंड में बारिश की वजह से मालन नदी उफान पर है. पानी के तेज बहाव की वजह से कोटद्वार में नदी पर बने पुल का 9 नंबर का पिलर धंसने से पुल का एक हिस्सा टूट गया है, जिसकी वजह से भाबर क्षेत्र का कोटद्वार से संपर्क टूट गया है. 

कई जिलों में 5 दिनों का रेड अलर्ट

वहीं उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश को देखते हुए मौसम विभाग ने 5 दिनों की बारिश के लिए रेड अलर्ट जारी किया था. बुधवार को मौसम विभाग ने बताया था कि पौड़ी, नैनीताल, उधम सिंह नगर, चंपावत में बारिश का रेड अलर्ट है. इसके अलावा, बाकी के इलाकों में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी है. 

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 IMD ने बताया था कि गुरुवार यानी आज पौड़ी, नैनीताल, उधम सिंह नगर, चंपावत में बारिश का रेड अलर्ट है. इसके अलावा, चमौली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और अलमोड़ा में बारिश का ऑरेंज अलर्ट है. वहीं, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून और हरिद्वार में बारिश का येलो अलर्ट है.  

उत्तरकाशी में बह गया था पुल 

कोटद्वार से पहले उत्तरकाशी जिले के सीमांत ब्लॉक मोरी में भी बारिश से नुकसान हुआ है. यहां जखोल लिवाड़ी मोटर मार्ग के खेड़ा घाटी में जो वैकल्पिक मोटर पुल था पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण बह गया. इस पुल पर फिताड़ी, रेकच्चा, हरिपुर, कासला, राला और लिवाड़ी गांव के लोग निर्भर हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन के द्वारा अभी तक कोई अन्य व्यवस्था नहीं की गई. जिस कारण ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर रहे हैं. 

 

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