
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले, और यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन के बीच जिलाधिकारियों (District magistrate) की शक्ति में बड़ा इजाफा किया है. राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National security act) यानी कि रासुका लगाने का अधिकार दे दिया है.
राज्य सरकार ने 3 माह के लिए डीएम को ये अधिकार दिया है. जिलाधिकारी के पास ये अधिकार होगा कि वह स्थिति की समीक्षा करने के बाद किसी व्यक्ति पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा सकता है.
राज्य सरकार ने कहा है कि समाज विरोधी शक्तियां कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं जिससे राज्य की शांति व्यवस्था भंग हो सकती है, इसलिए इन परिस्थितियों से निपटने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है.
पूर्व सीएम हरीश रावत का विरोध
राज्य सरकार के इस कदम का पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने विरोध किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि उत्तराखंड में 3 माह के लिए रासुका लगाने का निर्णय दुर्भाग्यजनक है. राज्य सरकार यह बताने में असमर्थ है कि क्या ऐसी स्थितियां पैदा हो गई हैं? जिसके वजह से रासुका लगाने का फैसला लिया गया और जिलाधिकारियों को अधिकार दे दिया गया. लोकतंत्र व जनतांत्रिक भावनाओं की यह हत्या है.
धरने पर बैठेंगे रावत
राज्य सरकार के इस कदम के खिलाफ हरीश रावत ने धरने पर बैठने का ऐलान किया है. हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा कि, "मैंने, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष से कहा है कि 1 दिन सारे प्रदेश में, इसके विरोध में कांग्रेस कार्यक्रम आयोजित करे, इसका वो निर्णय लेने का कष्ट करें. मैं बानगी स्वरूप 5 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली स्थित आवास में प्रात 9:00 से 10:00 तक 1 घंटे का मौन उपवास रखूंगा, अपना प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करूंगा.