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उत्तराखंड में UCC लागू होने पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जताई आपत्ति... कोर्ट में देंगे चुनौती

उत्तराखंड में UCC लागू होने पर मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आपत्ति जताई है. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम ऐसे किसी भी कानून को स्वीकार नहीं कर सकते, जो शरीयत के खिलाफ हो.

UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
aajtak.in
  • देहरादून,
  • 28 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST

उत्तराखंड UCC लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है. वहीं UCC लागू होने के बाद प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को कहा कि वह इस फैसले को अदालतों में चुनौती देगा. संगठन ने दावा किया है कि उसके वकीलों ने UCC की संवैधानिक और कानूनी पहलुओं की तहकीकात की है. 

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है. राज्य  सोमवार को समान नागरिक संहिता लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया, जो सभी धर्मों में प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानूनों को बढ़ावा देता है.

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'धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला'

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में अपने सरकारी आवास पर एक कार्यक्रम के दौरान UCC लागू करने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि UCC लागू होने से सभी धर्मों के लोगों के संवैधानिक और नागरिक अधिकार एक समान हो गये हैं.  न्यूज एजेंसी के मुताबिक UCC का विरोध करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक बयान में कहा कि इसके लागू होने से नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला हुआ है, क्योंकि ये पूरी तरह से भेदभाव और पूर्वाग्रह पर आधारित है.

'हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते'

संगठन ने अपने बयान में कहा है कि मौलाना अरशद मदनी के मार्गदर्शन में इस फैसले को उत्तराखंड उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा. अरशद मदनी ने UCC पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हम ऐसे किसी भी कानून को स्वीकार नहीं कर सकते, जो शरीयत के खिलाफ हो, क्योंकि एक मुसलमान हर चीज के साथ समझौता कर सकता है, लेकिन वह अपनी शरीयत और धर्म के साथ कभी समझौता नहीं कर सकता है.

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मुस्लिम सेवा संगठन ने किया विरोध

उत्तराखंड में सोमवार को भारी संख्या में मुस्लिम सेवा संगठन के लोग एकजुट हुए और नारेबाजी करने लगे. उनका कहना है कि सरकार ने उन पर कानून को थोपने का काम किया है, जिसका वो विरोध करते हैं. उन्होंने विरोध में उतरकर सड़क जाम करने की चेतावनी दी है. साथ ही उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड को उन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया है.

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