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दवा से लेकर आइसोलेशन वार्ड तक... अपने दम पर कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है उत्तराखंड का ये गांव

उत्तरकाशी शहर से 38 किमी दूर ढिकोली गांव के लोगों ने कोरोना से लड़ाई अब अपने हाथों में ले ली है. ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने दम पर कोविड के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और उन्होंने ग्रामीण निगरानी समिति नामक एक समिति बनाई.

ढिकोली गांव के लोगों ने कोरोना से जंग अपने हाथ में ली ढिकोली गांव के लोगों ने कोरोना से जंग अपने हाथ में ली
ऐश्वर्या पालीवाल
  • उत्तरकाशी,
  • 26 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:30 AM IST
  • ढिकोली गांव से आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट
  • कोरोना पर गांव में बनी ग्रामीण निगरानी समिति

कहते हैं कि आवश्यकता सभी आविष्कारों की जननी होती है. यह बात साबित कर दी है उत्तराखंड के एक गांव के लोगों ने. उत्तरकाशी शहर से 38 किमी दूर ढिकोली गांव के लोगों ने कोरोना से लड़ाई अब अपने हाथों में ले ली है. ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने दम पर कोविड के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और उन्होंने ग्रामीण निगरानी समिति नामक एक समिति बनाई.

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ढिकोली गांव में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी, वैसे ही ग्रामीणों ने एक स्कूल को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया है. ग्रामीण निगरानी समिति के प्रमुख ब्रह्मानंद उनियाल ने इंडिया टुडे टीवी को बताया, 'जैसे ही संख्या बढ़ने लगी, हमने गांव के स्कूल को आइसोलेशन वार्ड में बदलना शुरू कर दिया.'

ब्रह्मानंद उनियाल ने कहा, 'हमने इंटरनेट से समझा कि क्या करने की आवश्यकता है और फिर उसी तर्ज पर एक स्कूल को आइसोलेशन वार्ड में बदल दिया. हमने अपने दम पर संसाधनों में जमा किया और नेबुलाइज़र, थर्मामीटर के साथ-साथ कोविड के लिए आवश्यक दवाएं भी लाए. हमने इम्युनिटी बढ़ाने वाले पेय बनाना भी शुरू किया.'

ढिकोली गांव के लोग कोरोना से लड़ाई को लेकर कितने जागरुक हैं, इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि गांव के लोगों का दिन में कम से कम दो बार थर्मामीटर से तापमान चेक किया जाता है. ग्रामीण निगरानी समिति के प्रमुख ब्रह्मानंद उनियाल का कहना है कि इससे लक्षणों की पहले से जांच की जा सकती है.

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किसी में गंभीर लक्षण दिखने पर निगरानी समिति, अधिकारियों से संपर्क करती है. पहला कदम व्यक्ति को आइसोलेट करना है और फिर अगले 24 से 48 घंटों में वे यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि व्यक्ति को आवश्यक चिकित्सा देखभाल मिले. गांव में हर दूसरे दिन घर-घर मास्क बांटे जाते हैं और तापमान की रैंडम जांच की जा रही है.

गांव की मूल निवासी द्वारिका सेमवाल ने इंडिया टुडे को बताया, 'हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर दिन तापमान जांच हो, हम किसी भी तरह की लापरवाही नहीं चाहते हैं, हमने इस बीमारी के लिए आवश्यक बुनियादी दवाओं का स्टॉक कर लिया है, सुविधा ऐसी है कि जिनमें हल्के लक्षण होंगे, वे गांव के भीतर ही ठीक हो सकेंगे.'

एक तरह से आप कह सकते हैं कि उत्तरकाशी का ढकोली एक आत्मनिर्भर गांव बन गया है, जो अपने दम पर कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है. उत्तराखंड समेत पूरे देश के ढकोली गांव और वहां के ग्रामीण मिसाल हैं.

(रिपोर्ट- ओंकार बहुगुणा के साथ ऐश्वर्या पालीवाल)

 

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