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चमोली ग्लेशियर: धमाके जैसी आवाज के साथ आने लगा पानी का सैलाब...ग्रामीणों की जुबानी तबाही की कहानी

नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने के बाद यह हिमस्खलन आया. इस हिमस्खलन से वह परियोजना नष्ट हो गयी जो 2020 में ही शुरू हुई थी. मुख्य सीमा मार्ग पर एक बड़ा पुल भी बह गया.

चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही (फोटो- पीटीआई) चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही (फोटो- पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST
  • ग्लेशियर टूटने से तपोवन के पास बनी झील
  • लगातार बढ़ रहा झील का जलस्तर
  • टिहरी बांध से पानी छोड़ने का निर्देश

उत्तराखंड के रैणी गांव में रविवार की सुबह भी प्रत्येक दिन की तरह शांत सर्द सुबह थी. लगभग दस बजे उन्हें एक जोरदार आवाज सुनायी दी. ऋषिगंगा में पानी का सैलाब और कीचड़ था जो काफी तेजी से उनकी तरफ बढ़ रहा था. धरम सिंह नाम के पचास वर्षीय एक ग्रामीण ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि हम यह समझ पाते कि क्या हो रहा है, उससे पहले ही ऋषिगंगा के कीचड़ वाले पानी ने सारी चीजें तबाह कर दीं. 

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इस नजारे ने लोगों को 2013 की केदारनाथ की भयावह बाढ़ की याद दिला दी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गयी थी. रविवार को कई लोगों के इस सैलाब में बह जाने की आशंका है. उनमें नदी के आसपास काम कर रहे लोग भी शामिल हैं. 

गांव के तीन बाशिंदे इस त्रासदी के बाद से गायब हैं. उनमें 75 वर्षीय अमृता देवी भी हैं जो ऋषि गंगा पर पुल के समीप अपने खेत में काम करने गयी थीं. अन्य वल्ली रानी के यशपाल हैं जो अपने मवेशी को चराने गये थे और रंजीत सिंह (25) है जो ऋषि गंगा पनबिजली परियोजना में काम करते थे. 

नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने के बाद यह हिमस्खलन आया. इस हिमस्खलन से वह परियोजना नष्ट हो गयी जो 2020 में ही शुरू हुई थी. मुख्य सीमा मार्ग पर एक बड़ा पुल भी बह गया. जुवा ग्वान गांव के प्रदीप राणा ने बताया कि उसी गांव का संजय सिंह भी लापता है जो अपनी बकरियां चराने गया था. ऋषि गंगा और धौली गंगा के संगम से 20 मीटर की ऊंचाई पर बने कुछ मंदिर भी बह गये.

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धौली गंगा नदी में बहा जलस्तर
नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के कारण उत्तराखंड में आई आपदा के बाद धौली गंगा नदी का जलस्तर रविवार की रात एक बार फिर बढ़ गया. इसके चलते आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में घबराहट पैदा हो गई. रविवार रात करीब आठ बजे अचानक धौली गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा.

परियोजना के महाप्रबंधक (जीएम) ने कहा कि जलविद्युत परियोजना क्षेत्र की एक सुरंग में श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों समेत करीब 30-35 फंसे लोगों को बचाने का अभियान सोमवार की सुबह फिर से शुरू किया जाएगा.

देवभूमि उत्तराखंड में बीते दिन कुदरती आफत ने फिर अपना कहर बरपाया है. ग्लेशियर टूट जाने के कारण चमोली में बड़ा नुकसान हुआ, जहां पानी के तेज बहाव में काफी कुछ बह गया. प्लांट से लेकर पुल और घर तक को इस हादसे में नुकसान हुआ है. अभी तक कुल 14 शव मिले हैं, जबकि सौ से अधिक लोग गायब बताए जा रहे हैं. स्थानीय प्रशासन से लेकर सेना तक अब रेस्क्यू में जुटी है और राज्य-केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही हैं. 

 

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