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उत्तरकाशी हिमस्खलन में लापता 27 पर्वतारोहियों की मौत, अब तक 11 की हुई पहचान

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए हिमस्खलन में 27 पर्वतारोहियों की मौत हो गई है. अब तक 11 शवों को उत्तरकाशी लाया जा चुका है और उनकी पहचान की जा चुकी है. कई घंटों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद NIM की ओर से यह आंकड़ा जारी किया गया है. NIM ने कहा है कि अभी भी दो ट्रेनी पर्वतारोही लापता हैं.

उत्तरकाशी में हुए हिमस्खलन में 29 पर्वतारोहियों की मौत हो गई है उत्तरकाशी में हुए हिमस्खलन में 29 पर्वतारोहियों की मौत हो गई है
अंकित शर्मा
  • उत्तरकाशी ,
  • 08 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:04 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए हिमस्खलन में 27 पर्वतारोहियों की मौत हो गई है. अब तक  11 शवों को उत्तरकाशी लाया जा चुका है और उनकी पहचान की जा चुकी है. कई घंटों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद NIM की ओर से यह आंकड़ा जारी किया गया है. मंगलवार को यहां बड़ा हादसा हो गया था. यहां 17,000  फीट की ऊंचाई पर स्थित द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी पर हुए हिमस्खलन में करीब कई ट्रैकर्स फंस गए थे. 

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NIM की ओर से एक लिस्ट जारी की गई है. इसमें बताया गया है कि हिमस्खलन में अब तक 27 पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है. इसमें दो इंस्ट्रक्टर और 27 ट्रेनी पर्वतारोही शामिल थे. लेकिन शवों को लाने में मौसम बाधक बना हुआ है. लिहाजा सिर्फ 11 शवों को ही अब तक उत्तरकाशी लाया गया है.

NIM ने रेस्क्यू बुलेटिन में कहा है कि 4 अक्टूबर को 4 बॉडी मिली थीं, इसमें दो इंस्ट्रक्टर और 2 ट्रेनी पर्वताहोरी शामिल थे. वहीं 6 अक्टूबर को 15, 7 अक्टूबर को 7 और 8 अक्टूबर (शनिवार) को 1 बॉडी मिली है. NIM ने कहा है कि हिमस्खलन में अब तक 27 की मौत हो गई है, जबकि 2 ट्रेनी अभी भी लापता हैं.

नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (NIM) का डोकरानी बामक ग्लेश्यिर में द्रोपदी डांडा-2 पहाड़ी पर बीते 22 सितंबर से बेसिक/एडवांस का प्रशिक्षण चल रहा था. इसी दौरान 4 अक्टूबर को यहां हिमस्खलन हुआ था. एवलांच के बाद NIM ने भी अपने स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. साथ ही SDRF, NDRF, NIM व अन्य बचाव इकाइयों द्वारा युद्धस्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाया गया. लेकिन मौसम ज्यादा खराब होने के कारण कई बार रेस्क्यू कार्य को बीच मे ही रोकना पड़ा था. 

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अचानक तूफान आया और बिछ गई बर्फ की मोटी चादर

इस टीम को लीड कर रहे नायब सूबेदार अनिल कुमार लीड कर रहे थे. हिमस्खलन में वो भी दब गए थे. उन्हें अभी रेस्क्यू कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा था कि मैं टीम को लीड कर रहा था. इंस्ट्रक्टर सविंता कंसवाल और नौमी रावत मेरे पीछे थे. जबकि बाकी लोग हमारे पीछे पीछे आ रहे थे. अचानक बर्फ का तूफान सा आया. बस कुछ ही सेकेंड में सब चीजें बर्फ की मोटी चादर में ढक गईं. क्योंकि मैं दूसरे लोगों से आगे था. जैसे ही हिमस्खलन शुरू हुआ मैं एक दरार पर बायीं तरफ लटक गया, जब धीरे-धीरे बर्फ का खिसकना बंद हुई, तो मैंने खुद की रस्सियां खोलीं और अपनी टीम के दूसरे सदस्यों को रेस्क्यू करना शुरू किया. दूसरे इंस्ट्रक्टर भी रेस्क्यू के लिए वहां आए." 

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