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उत्तरकाशी टनल में फंसे 2 मजदूरों की तबीयत बिगड़ी, पढ़ें- 900MM के पाइप से 40 मजदूरों को निकालने का पूरा प्लान

बचाव दल अब फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने में मदद करने के लिए सुरंग के अंदर 900 मिमी पाइप लगाकर रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सुरंग के अंदर फसें 40 में से 2 मजदूरों की आज तबीयत भी खराब हो गई, जिसमें एक को उल्टी और चक्कर आया और एक को सरदर्द की शिकायत के बाद प्रशासन ने कंप्रेसर के जरिए दवा उपलबध कराई.

उत्तरकाशी की एक टनल में फंसे 40 मजदूर उत्तरकाशी की एक टनल में फंसे 40 मजदूर
अंकित शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों को बचाने की कोशिशें जारी हैं. बचाव दल अब फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने में मदद करने के लिए सुरंग के अंदर 900 मिमी पाइप लगाकर रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सुरंग के अंदर फसें 40 में से 2 मजदूरों की आज तबीयत भी खराब हो गई, जिसमें एक को उल्टी और चक्कर आया और एक को सरदर्द की शिकायत के बाद प्रशासन ने कंप्रेसर के जरिए दवा उपलबध कराई

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मंगलवार को यह रेस्क्यू ऑपरेशन तीसरे दिन पर पहुंच गया. इससे पहले दिन में, पाइप और ड्रिलिंग मशीनों से लदे ट्रक सुरंग स्थल पर पहुंचे. मशीनों को क्षैतिज दिशा (Horizontal Direction) में काम करने के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि पाइप को मलबे के जरिए नीचे की ओर धकेला जा सके और श्रमिकों को निकाला जा सके. अब सुरंग में जाने के लिए 900 मिमी पाइप को ऊपर से डाला जा रहा है जिसके जरिए मजदूरों को निकालने की कोशिश की जाएगी. 

मजदूरों को निकालने की कवायदें जारी

बचाव टीमों के अलावा, ऑपरेशन के लिए जरूरी सभी मशीनरी और उपकरण साइट पर लाए गए हैं. ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारी भी सोमवार रात सुरंग स्थल पर पहुंचे. उत्तरकाशी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अर्पण यदुवंशी ने सोमवार को बताया कि 60 मीटर मलबे में से 20 मीटर से अधिक मलबा हटा दिया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई ने उनके हवाले से कहा, हमें उम्मीद है कि मंगलवार की शाम तक अंदर फंसे 40 लोगों को निकाल लिया जाएगा. फंसे हुए मजदूरों तक खाना, पानी और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए भी मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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अंदर सुरक्षित हैं सभी मजदूर

कंक्रीट, गंदगी और मलबे के ढेर को साफ करने के लिए अधिकारी ढहने के बाद से दो आरओसी मशीनों के साथ जरूरी चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. बचाव अभियान में लगे उत्तरकाशी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रशांत कुमार ने आजतक को बताया कि सुरंग के अंदर सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं. कुछ श्रमिकों के परिवार के सदस्य आज सुबह सुरंग स्थल पर पहुंचे.

सुरंग में 5-6 दिन तक जिंदा रहने की ऑक्सीजन मौजूद

राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने मंगलवार को कहा कि बचावकर्मियों ने फंसे हुए मजदूरों से रेडियो के जरिए बात की थी. एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, आपदा प्रबंधन के एक वरिष्ठ अधिकारी रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि फंसे हुए लोगों के लिए लगभग पांच से छह दिनों तक जीवित रहने के लिए सुरंग खंड में पर्याप्त ऑक्सीजन थी.

कैसे हुआ हादसा?

आपको बता दें कि ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच बन रही एक सुरंग का एक हिस्सा रविवार सुबह ढह जाने से 40 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. सुरंग की कुल लंबाई 4.5 किमी है, जिसमें सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर का निर्माण किया गया है. सुरंग के दोनों किनारों के बीच 441 मीटर की दूरी का निर्माण अभी बाकी है. अधिकारियों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि यह ढहना सिल्क्यारा की तरफ से हुआ, यह हिस्सा प्रवेश द्वार से 200 मीटर की दूरी पर था.

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बचाव में जुटे दो मजदूर घायल

सिलक्यारा टनल में राहत एवं बचाव कार्य के बीच फिर मलबा गिरा है, जिसकी चपेट में आने से दो मजदूर बालबाल बचे. हालांकि मलबे से बचने के लिए भागते समय दोनों चोटिल हुए हैं. जिन्हें सुरंग के निकट बनाए गए अस्थाई अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिया गया. मंगलवार को करीब पौने पांच बजे सिलक्यारा टनल में ड्रिलिंग के लिए ऑगर मशीन स्थापित करने का काम अंतिम चरण में था, जिसमें दस मजदूर लगे हुए थे. इस बीच अचानक भारी मात्रा में मलबा गिरा. जिससे बचने के लिए मजदूर बाहर की तरफ भागे. भगदड़ में युसूफ अली व सहीदू रामा चोटिल हो गए. दोनों को तत्काल टनल के समीप स्थापित किए गए अस्थाई अस्पताल पहुंचाया गया. जहां दोनों को प्राथमिक उपचार दिया गया. बताया जा रहा है कि सुरंग में काम तो 10 से 15 ही लोग कर रहे हैं. जिनमें मजदूर व तकनीकी स्टाफ शामिल हैं. लेकिन वहां तमाशबीन के रुप मौजूद अन्य विभागों के लोग सुरंग के तंग हिस्से में रहकर कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. यही वजह है कि मंगलवार शाम वहां मलबा गिरा तो भगदड़ का माहौल उत्पन्न हो गया.

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