
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूर पिछले 7 दिन से फंसे हुए हैं. उन्हें टनल के अंदर ही खाना, पानी और ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है, लेकिन अब 41 मजदूरों के सहकर्मियों और परिजनों के सब्र का बांध टूट गया है. टनल में फंसे इन मजदूरों के साथियों ने शनिवार को जमकर हंगामा किया. उन्होंने कहा कि हमारे भाई सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं. यहां सर्फ एक्सपेरीमेंट किया जा रहा है. मजदूरों को निकालने का काम नहीं किया जा रहा. अगर लोगों को निकालने का काम किया जाता, तो अब तक हमारे भाइयों को निकाल लिया गया होता. साथ ही कहा कि बैक सपोर्ट के लिए भी यहां कोई मशीनरी नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सुरंग की साइड से कटिंग की जाती तो लोग बाहर आ गए होते.
आक्रोशित लोगों ने कहा कि यहां कोई भी अधिकारी हमसे बात नहीं कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस टनल हादसे की जिम्मेदार जीएम, इलेक्ट्रिकल मैनेजर और कंपनी के पीआरओ हैं. सभी वर्कर्स ने कहा था कि ये टनल कभी भी धंस सकती है,लेकिन वे निर्माण करते रहे.
मजदूरों के साथियों ने बताया लोगों को बचाने का तरीका
बिहार के रहने वाले चंदन महतो ने कहा कि इसमें फंसे लोगों को बचाने का एक ही तरीका है, मैट मशीन लाया जाए, ऊपर से ड्रिल किया जाए या फिर साइड से कटिंग की जाए. उन्होंने कहा कि जहां मशीन चल रही थी, उसके 30 मीटर अंदर 500 एमएम टनल बैठ गई है. किसी को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है. चंदन महतो ने बताया कि ये लोग हमारे भाइयों को बचाना नहीं चाहते, सभी जानते हैं कि मशीन सक्सेस नहीं होगी. ये सिर्फ टनल बचाना चाहते हैं. साथ ही कहा कि शुरू से 41 मजदूर फंसे हुए थे. उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.
हम सुरंग को काट सकते हैं
सुरंग में फंसे मजदूरों को दिए जाने वाले खाने को लेकर उन्होंने कहा कि पानी और चने के साथ आदमी स्वस्थ्य नहीं रह सकता. कल रात से तो उन्होंने रोना भी शुरू कर दिया है, उनकी उम्मीद धीरे-धीरे खत्म होती जा रहा है. सुरंग नाजुक है और ढह सकती है. उन्होंने कहा कि हम सुरंग को काट सकते हैं और अपने सहकर्मियों को बचाने के लिए जा सकते हैं.
अंदर फंसे लोगों का मनोबल टूट रहा
एक मजदूर मृत्युंजय कुमार ने बताया कि अंदर फंसे लोगों का मनोबल टूट रहा है. मैंने सोनू सिंह से बात की, एक इलेक्ट्रीशियन जो अंदर फंसा हुआ है, उसने मुझे बताया कि वह हार मान रहा है और उसे बचाया नहीं जाएगा. मृत्युंजय ने कहा कि सुरंग कभी भी ढह सकती है और बचाव दल की निकासी के लिए सुरक्षा वाहिनी के लिए 15 ह्यूम पाइप भी लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि अंदर फंसे सोनू ने पूछा कि तुम लोग काम कर भी रहे हो या नहीं, लेकिन हम उन्हें लगातार आश्वासन दे रहे हैं.
अब सुरंग ढहने का डर
मृत्युंजय कुमार ने कहा कि दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं. एक के बाद एक मशीन फेल हो रही है. रेस्क्यू ऑपरेशन में खलल पड़ रहा है. सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग 12 नवंबर को सुबह 4 से 5:30 बजे के बीच ढह गई. लोगों को बचाने की प्रक्रिया 17 नवंबर तक पूरे जोरों पर थी, तभी एक जोरदार आवाज आई और ऑपरेशन रोक दिया गया. मलबे का ढेर 60-70 मीटर तक बिखर गया. चेनेज 150 से चेनेज 203 मीटर तक सुरंग ढहने का डर है. लिहाजा बचाव कार्य स्थगित कर दिया गया है.
प्लान-B पर काम करेगी रेस्क्यू टीम
अब रेस्क्यू में जुटी टीम Plan-B पर काम करेगी. इसके तहत पहाड़ की चोटी से सुरंग में 100 फीट तक की वर्टिकल ड्रिल की जाएगी. लेकिन इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ऑपरेशन को पूरा करने में एक और सप्ताह लग सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए परंपरागत तरीके से हाथों से खोदकर बनाई जाने वाली सुरंगों का विकल्प भी अपनाया जा सकता है, जिसका उपयोग ज्यादातर पनबिजली परियोजनाओं और सुरंग बनाने में किया जाता है. साथ ही एक्सपर्ट टूटी हुई चट्टान को वापस चट्टान में बदलने के लिए उच्च-तकनीकी तरीकों का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं.