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उत्तराखंड का मिशन सुरंग... 50 मीटर पाइप के सहारे 40 मजदूरों की जिंदगी, अब स्पेशल प्लेन से आई मशीन

हादसे के चार दिन बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है. मजूदरों को सुरंग से सकुशल निकालने के लिए रेस्क्यू जारी है. बताया गया है कि 50 मीटर तक सुरंग धंस चुकी है. मलबे से रास्ता ब्लॉक हो चुका है. ऐसे में रेस्क्यू करने में बहुत परेशानी आ रही है. 

900 मिमी पाइप डालने के लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन साइट पर पहुंचr है (Photo Aajtak). 900 मिमी पाइप डालने के लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन साइट पर पहुंचr है (Photo Aajtak).
aajtak.in
  • देहरादून,
  • 15 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:05 PM IST

Uttarkashi Tunnel Collapse: जब पूरा देश 12 नवंबर को दिवाली का त्योहार मना रहा था. उसी सुबह उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में हादसा होता है और 40 मजदूर सुरंग में अंदर फंस जाते हैं.

हादसे के चार दिन बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है. मजूदरों को सुरंग से सकुशल निकालने के लिए रेस्क्यू जारी है. बताया गया है कि 50 मीटर तक सुरंग धंस चुकी है. मलबे से रास्ता ब्लॉक हो चुका है. ऐसे में रेस्क्यू करने में बहुत परेशानी आ रही है. 

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बचाव कार्य में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और पुलिसकर्मियों की 200 से ज्यादा लोगों की टीम मिलकर काम कर रही है. यह सुरंग चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है.

बताया गया है कि टनल के प्रवेश द्वार से लगभग 200 मीटर अंदर 40 मजदूर फंसे हुए हैं.  जहां मजदूर फंसे हुए हैं, वहां ठीक उनके आगे 50 मीटर से ज्यादा मलबा फैला है. चिंता की बात ये है कि टनल का ये हिस्सा बेहद कमजोर है. जैसे ही मजदूरों को निकालने के लिए मलबा निकालते हैं तो और मलबा गिर रहा है.  

800 MM का स्टीव पाइप डालने की योजना

अब इस 50 मीटर से भी ज्यादा लंबे मलबे के बीच 800 मिमी की स्टील पाइप डालने का काम शुरु होना है. कोशिश ये है कि मलबे के आर पार स्टील पाइप करके भीतर से ही एक-एक करके मजदूरों को निकालने का प्लान अभी है. फिलहाल तब तक ऑक्सीजन, पानी, खाना, दवाई भेजकर मजदूरों से संपर्क रखा जा रहा है. सभी मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं.

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नार्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों से किया गया संपर्क

टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए स्थानीय रेस्क्यू टीमें तो लगी हुई हैं. साथ ही विदेशी रेस्क्यू टीमों से भी मदद ली जा रही है. नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों से संपर्क साधा गया है.

थाईलैंड की उसे रेस्क्यू कंपनी से संपर्क किया है जिसने थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को बाहर निकाला था. वहीं, नॉर्वे की एनआरआई एजेंसी से भी संपर्क किया गया है, जिससे सुरंग के भीतर ऑपरेशन में विशेष सुझाव लिए जा सकें. साथ ही दिल्ली मेट्रो और भारतीय रेल के विशेषज्ञों से भी सुरंग के भीतर ऑपरेशन से संबंधित सुझाव लिए जा रहे हैं. 

मजदूरों को कब तक निकाला जा सकेगा बता पाना मुश्किल: NHIDCL डायरेक्टर

NHIDCL के डायरेक्टर अंशो मनीष खालको का कहना है कि सुंरग में फंसे मजदूरों को कब तक सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा इसकी समय-सीमा बता पानी अभी मुश्किल है. हमारे पास बैकअप पहले से ही तैयार था. राज्य सरकार हमें मदद कर रही है, लेकिन दूसरी मशीन जो स्टेट ऑफ आर्ट मशीन है वह यहां नहीं थी और बहुत भारी मशीन हैं. 25 टन की मशीन है जिसे दिल्ली से एयरलिफ्ट कराया जा रहा है. डायरेक्टर का कहना है कि मशीन के यहां पहुंचने के कुछ घंटे में उसे असेंबल कर लिया जाएगा. इंडियन एयर फोर्स के तीन एयरक्राफ्ट से सामग्री हमें मिलेगी.

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उन्होंने आगे कहा कि हमारा काम शुरू हो चुका है. 800 मिलीमीटर की पाइप के जरिए हम अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें कुछ रुकावट आ रही हैं. उन मशीनों के आने के 3 से 4 घंटे के बाद हम अपना ऑपरेशन इंस्टॉल करके काम शुरू कर पाएंगे तब तक धैर्य रखने की जरूरत है.

हम सुरंग में पहले दिन 21 मीटर अंदर गए थे, लेकिन हम सुरंग में जितना अंदर जाते हैं, उसे छेड़ते हैं वह मलबा कमजोर है और उतना ही फिर से आ जाता है. ऐसे में कितना मलबा निकला है यह नहीं कह सकते हैं. हम स्टील पाइप के जरिए अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं और हम दो से तीन मीटर अंदर हैं.

मशीन आने पर तेज होगा रेस्क्यू ऑपरेशन 

एयरलिफ्ट करके जो मशीन मंगाई जा रही है उसके जरिए रेट ऑफ पेनिट्रेशनज्यादा से 5 मीटर तक अंदर जा पाएंगे. यदि हमें 50 मीटर जाना है तो 10 से 12 घंटे लगेगा. हमें नहीं पता अंदर हमारी कौन सी मशीन या रॉड सुरंग में अंदर फंसी हुई है. उन सब को देखने के बाद हम कोशिश करेंगे जल्द से जल्द सुरंद में अंदर घुस पाएंगे. 

हम मजदूरों से संपर्क में, पहुंचाया जा रहा खाना और ऑक्सीजन

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सिलक्यारा कंट्रोल रूम द्वारा बताया गया वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे लोगों से संपर्क हुआ हैं और सभी अंदर सकुशल हैं. फंसे हुए लोगों द्वारा खाने की मांग की गई जिन्हें पाइप के थ्रू खाना भिजवाया जा रहा है. उनसे लगातार बातचीत कर रहे हैं न सिर्फ उनके गांववालों से बात करवा रहे हैं बल्कि मैं खुद झारखंड का हूं तो हम उनसे बात कर रहे हैं.

सबसे ज्यादा झारखंड के श्रमिक फंसे टनल में जिन राज्यों के मजदूर फंसे हैं उनमें बिहार के 4, उत्तराखंड के 2, बंगाल के 3, यूपी के 8, उड़ीसा के 5, झारखंड के 15, असम के 2 और हिमाचल प्रदेश का एक श्रमिक शामिल हैं. अलग-अलग राज्यों के लोगों से बातचीत की जा रही है.

डायरेक्टर ने का कहना है कि हम हर मजदूर को यहां शामिल नहीं कर सकते क्योंकि अंदर जगह ज्यादा नहीं है और वहां भीड़भाड़ होगी. कल काम करते समय एक तरफ से सारा मालवा नीचे गिरने लगा और ऐसे में चोट लग सकती थी हम चाहते हैं सिर्फ काम करने वाले अंदर आए हम चाहते हैं मदद हम सब करें लेकिन सीमित जगह में सीमित लोग ही आ सकते हैं.

इन राज्यों से हैं टनल में फंसे मजदूर

पीड़ितों की दूरी लगभग 60 मीटर बताई गई है. यह जानकारी आधिकारिक है जो डिजास्टर मैनेजमेंट द्वारा जारी की गई है. यह सुरंग चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है. जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र ने बताया कि लगभग 160 बचावकर्मी ड्रिलिंग उपकरण और उत्खननकर्ताओं की मदद से फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. बचाव प्रयासों में सहायता के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन जैसे कुछ और उपकरण साइट पर पहुंच गए हैं.

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853 करोड़ की लागत से बनाई जा रही है सुरंग

मार्च 2024 में पूरा होना है निर्माण कार्य हर मौसम के अनुकूल चार धाम सड़क परियोजना के तहत बन रही इस सुरंग के बनने से उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक का सफर 26 किलोमीटर कम हो जाएगा. यह टनल ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसकी लंबाई 4.5 किमी है. चार किलोमीटर सुरंग का निर्माण हो चुका है. पहले इस टनल का कार्य सितंबर 2023 में पूरा होना था, लेकिन प्रोजेक्ट में देरी हो गई है. अब इसे मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जानकारी के मुताबिक इस साल मार्च में भी इस निर्माणाधीन सुरंग में भूस्‍खलन की घटना हुई थी. यह सुरंग करीब 853 करोड़ की लागत से बन रही है.

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