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पहले सीएम के सामने लड़ाई, फिर पार्टी के अंदर बयानबाजी, उत्तराखंड बीजेपी में उठापटक के संकेत

पार्टी में दो धड़े साफ दिखाई दे रहे हैं.  एक धड़ा जो कांग्रेस से आये लोगों का है तो दूसरा पुराना भाजपाइयों का. ऐसे में आपसी कलह फिर सामने आ रही है.

उत्तराखंड बीजेपी में उठापटक के संकेत ( पीटीआई) उत्तराखंड बीजेपी में उठापटक के संकेत ( पीटीआई)
दिलीप सिंह राठौड़
  • देहरादून,
  • 09 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST
  • उत्तराखंड बीजेपी में उठापटक के संकेत
  • पहले सीएम के सामने लड़ाई, फिर पार्टी के अंदर बयानबाजी
  • कांग्रेस ने ली चुटकी, बीजेपी पर निशाना

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव  दहलीज़ पर खड़ा दस्तक दे रहा है तो दूसरी ओर प्रचंड बहुमत पाकर सत्ता में वापसी का दावा करने वाली बीजेपी के भीतर शह मात का खेल खेला जा रहा है.पार्टी में दो धड़े साफ दिखाई दे रहे हैं.  एक धड़ा जो कांग्रेस से आये लोगों का है तो दूसरा पुराना भाजपाइयों का. ऐसे में आपसी कलह फिर सामने आ रही है.

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कांग्रेस से भाजपा में आये विधायक पार्टी में कुछ लोगों पर उपेक्षा का आरोप लगाकर और उनको पार्टी से निकालने की साजिश के तहत उनके खिलाफ माहौल बनाने का आरोप लगा रहे हैं. स्पष्ट कहा जा रहा है कि अगर उनकी समस्याओं का हल नहीं निकलता है तो वे कुछ दूसरे कदम उठाने को मजबूर रहेंगे. 

उत्तराखंड बीजेपी में उठापटक के संकेत

वहीं दूसरी तरह एक ऐसा भी धड़ा है जो उन बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेसियों को  बाहर करने की फिराक में है. यह आलम तब है जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष हर महीने उत्तराखंड का दौरा कर रहे हैं. यदि यही स्थिति रही तो चुनाव से पहले बीजेपी के भीतर किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम का होना किसी को भी हैरान नहीं करने वाला है.

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वैसे ये कलह तब खुल कर सामने आई जब मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस से भाजपा में आये उमेश शर्मा काऊ एक बीजेपी कार्यकर्ता वीर सिहं पर भड़क गए. दोनों में काफी देर बहस हुई, मामले में हाथापाई तक की नौबत आ गयी थी. विधायक ने जिला पंचायत सदस्य पर उनके खिलाफ माहौल बनाने और उनका दुष्प्रचार करने का आरोप लगा दिया था. वहीं जिला पंचायत सदस्य का आरोप रहा कि विधायक किसी कार्यकर्ता को कुछ नही समझते और उनका ये व्यवहार कार्यकर्ताओं का भी मनोबल तोड़ता है.

कैसे दो धड़ों में बंटी बीजेपी?

देहरादून जिले की रायपुर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से सिटिंग विधायक उमेश शर्मा पहला चुनाव 2012 में कांग्रेस की टिकट से जीते थे, इसके बाद वे भी 2017 के चुनाव से पहले कई नेताओं के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे. विधायक काऊ का कहना है किस तरह से उनको सीट से बेदखल किया जाए ,इसके लिए उनके ही विधानसभा छेत्र रायपुर में उनके ख़िलाफ़ माहौल बनाया जा रहा है. लगातार कोशिश की जा रही है कि उन्हें इतना उत्तेजित कर दिया जाए जिससे उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो जाए. 

इसी कड़ी में दो दिन पहले काऊ दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से मिले और पूरी बात बताई. उन्होंने साफ कहा कि अगर उनकी समस्या का हल नही किया गया तो उनका भी संगठन है और वो उनसे बात करके आगे का निर्णय लेंगे.

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किस बात पर नाराजगी?

कांग्रेस से भाजपा में आये कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी इस मामले को लेकर बहुत नाराज हैं और उन्होंने कहा कि जब हमें बीजेपी में लाया गया था तो अमित शाह द्वारा सम्मान की सुरक्षा की पूरी गारंटी दी गयी थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. हरक ने कहा कि पार्टी के भीतर एक धड़ा ऐसा है जो यह चाहता है कि हम सब बीजेपी छोड़ कर चले जाएं. और यह वो लोग चाहते हैं जिनकी अपनी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है. मंत्री हरक सिंह रावत ने आगे कहा कि इस मामले को हरिद्वार में पिछले महीने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने भी उठाया था. जो लोग इस तरह के मामलों के पीछे हैं वो बीजेपी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने ये बातें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी बता दी हैं. हमें कुछ लोग पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं. और अगर ऐसे ही चलता रहा तो ये पार्टी के लिए अच्छा संकेत नही हैं.
  
हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके नाराज होने की बात को नकारा है. उनके मुताबिक उन्होंने उमेश से बात कर ली है. उनकी समस्या को भी सुन लिया गया और मदद का आश्वासन भी दिया जा चुका है. ऐसे में अब कोई नाराजगी नहीं रही है. लेकिन कांग्रेस इस मौके को लपकने में लग गयी है.

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कांग्रेस ने ली चुटकी

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने साफ किया कि उमेश शर्मा काऊ को भाजपा में कभी सम्मान नही मिल सकता. जब वे भाजपा में जा रहे थे तब भी उनको भाजपा के कुचक्र में फंसने से सतर्क किया था मगर वे भाजपा के कुचक्र में फंसे. कांग्रेस ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि काऊ और हरक सिंह रावत ने उनके नेता से संपर्क किया है.वे बताते हैं कि इसकी सूचना हाईकमान को दे दी जाएगी और दोनों नेताओं को पार्टी में लेना है या नहीं, ये उन पर छोड़ दिया जाएगा.

कुल मिलाकर आने वाले दिनों में उत्तराखंड की राजनीति करवट बदल सकती है, उत्तराखंड में चुनाव से पहले एक बार फिर उठापटक का दौर चल सकता है जो चुनाव से पहले भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकता है.

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