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एक धंसते शहर की त्रासदी... जोशीमठ में दरकती दीवार, धंसती जमीन, फटती सड़कें!

उत्तराखंड के जोशीमठ के कई इलाकों में लैंडस्लाइड, धंसती जमीन, दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. जो अपने घर में रह रहे हैं, उन लोगों को पूरी पूरी रात नींद नहीं आ रही. जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, वो लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं.

जमीन में दरारें पड़ रही हैं. जमीन में दरारें पड़ रही हैं.
कमल नयन सिलोड़ी
  • जोशीमठ,
  • 06 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:04 PM IST

उत्तराखंड के एक शहर जोशीमठ की दीवारें दरक रहीं है, जमीन धंस रही है, घरों को फोड़कर पानी बह रहा है. अब सवाल उठता है कि क्या ये शहर पाताल में समाने वाला है? बदरीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर जोशीमठ में सड़कें फट रही है, बिना सोचे समझे निर्माण और कुदरत से खिलवाड का खामियाजा ये शहर भुगत रहा है.

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जोशीमठ पर खतरे के बादल कले घने होते जा रहे हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज बड़ी बैठक करके कोई रास्ता निकालने की कोशिश में हैं. वैज्ञानिकों से लेकर एक्सपर्ट की टीम मोर्चे पर तैनात है. वैसे सरकार के लिए पहली प्राथमिकता है लोगों को बचाना. अब जोशीमठ में जिंदगी का जोश कैसे बना रहे? चुनौती ये भी बड़ी है.

जोशीमठ के कई इलाकों में लैंडस्लाइड, धंसती जमीन, दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. जो अपने घर में रह रहे हैं, उन लोगों को पूरी पूरी रात नींद नहीं आ रही. जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है,  वो लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं.

प्रशासन की टीम भी लगातार ऐसे घरों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा रही है. सबसे ज्यादा कहर मारवाड़ी इलाके में देखा जा रहा है. यहां कई जगह से जमीन के अंदर से मटमैले पानी का लगातार रिसाव तेज होता जा रहा है. हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट कॉलोनी की दीवारों को फाड़कर पानी का बहाव बढ़ता जा रहा है.

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इसके साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य जी के पौराणिक मंदिर में भी दरार आ गई है. ज्योतिर्मठ शिवालय अमर कल्प वृक्ष है. ज्योर्तिमठ को ही जोशीमठ का अस्तित्व माना जाता है. ये मंदिर लगभग ढाई हजार वर्ष पुराना है. 2500 साल पुराना कल्पवृक्ष भी खतरे की जद में आ गया .यहीं पर आज जगत गुरु शंकराचार्य जी को दिव्य ज्योति ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.

यहां देखिए वीडियो-

 

जेपी कंपनी की कॉलोनी में भी कई ऐसे घर हैं जहां दरारें आईं हैं. उन्हें भी सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है. लोगों की चिंता इसलिए बढ़ रही है कि जोशीमठ के इन इलाकों में जमीन पर पड़ रहीं दरारें रोज़ चौड़ी होती जा रही हैं. 25 से ज्यादा घरों की दीवारों में काफी चौड़ी दरारें आने के बाद से लोगों ने अपने घर खाली कर दिए हैं.  

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग-58 के पास जयप्रकाश पावर प्रोजेक्ट की कॉलोनी की दीवारें फाड़कर निकलते कीचड़ वाले पानी आ रहे हैं. दूसरी कॉलोनियों में भी दीवारों में दरारें बढ़ती जा रही हैं. अब लोगों के खेतों से भी पानी के बुलबुले निकलने शुरू हो चुके हैं. जोशीमठ पर अचानक आई इस अनजानी आपदा से परेशान लोगों ने अब धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया.

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इससे पहले रात में जोशीमठ में मसाल जुलूस निकालकर लोगों ने सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की. स्थानीय लोगों का आरोप है कि एनटीपीसी के हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट की वजह से ही पहाड़ पर धंसाव की ये मुसीबत पैदा हुई है. जिस तरह जोशीमठ में मकानों में धंसाव बढ़ता जा रहा है, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में जोशीमठ पर बड़ा खतरा मंडरा सकता है.

इस बीच जोशीमठ में जेपी कॉलोनी से करीब 35 मकानों को खाली करा लिया गया है और जिन मकानों में चौड़ी दरारें आ चुकी हैं, उन मकानों में से अब तक 77 परिवार हटाये जा चुके हैं. इतना ही नहीं इस इलाके के पोस्ट ऑफिस की दीवारों में भी दरारें आई हैं. उसे भी शिफ्ट किया गया है. 

भले ही लोगों की सरकार के प्रति नाराजगी देखी जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दावा है कि वो हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और मुसीबत का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों का दल भी जोशीमठ पहुंच चुका है. जोशीमठ पर पैदा हुआ संकट मामूली नहीं है. भूगर्भीय रूप से ये शहर काफी संवेदनशील है और सिस्मिक जोन 5 के अंदर आता है.

इस शहर में हो रहे धंसाव की आशंका पहले ही पैदा हो गई थी और सरकार की विशेषज्ञों की टीम ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी. उस रिपोर्ट में कहा गया था कि जोशीमठ में बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और दूसरे कई कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट पैदा हुई है. 

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भूगर्भीय रूप से संवेदनशील ये शहर पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर मौजूद है. शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है. ऐसे में नदी से होने वाला कटाव भी इस भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार है. उसके बाद सरकार ने योजना बनाई है कि जोशीमठ में हो रहे धंसाव को रोकने के लिए अस्थाई सुरक्षा कार्य किये जाएंगे. 

इसके लिए सिंचाई विभाग के प्रस्ताव पर 20 जनवरी को फैसला होना है, लेकिन उससे पहले ही शहर के 9 वार्ड में करीब 570 मकानों पर धंसने का संकट बढ़ गया है. जोशीमठ समुद्र तल से करीब छह हजार फीट ऊंचाई पर मौजूद है, लेकिन मौजूदा संकट सरकार के लिए बड़े खतरे की आहट लेकर आया है.

इससे पहले विशेषज्ञों ने 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ का दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि इस इलाके में सुरक्षा कार्य करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को दूसरी जगह विस्थापित करना होगा. सरकार अब इस विकल्प पर विचार कर रही है.

 

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