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उत्तराखंड: कुमाऊं क्षेत्र में 'कोविड पैरोल' के बाद 255 कैदी फरार, पुलिस को अब तक नहीं मिला कोई सुराग

करोना काल जहां लोगों के लिए एक मुसीबत का सबब बना था, तो वहीं कोरोना काल गंभीर अपराधों में दोषी कैदियों के लिए वरदान साबित हुआ था. इस दौरान कोविड नियमों का पालन करने के लिए कुमाऊ मंडल में कैदियों को पैरोल दी गयी थी.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
रमेश चन्द्रा
  • देहरादून,
  • 11 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:46 AM IST

करोना काल जहां लोगों के लिए एक मुसीबत का सबब बना था, तो वहीं कोरोना काल गंभीर अपराधों में दोषी कैदियों के लिए वरदान साबित हुआ था. इस दौरान कोविड नियमों का पालन करने के लिए कुमाऊ मंडल में कैदियों को पैरोल दी गयी थी. जिसमें से कुमाऊ मंडल के 4 जेलों के 255 कैदियों पैरोल से वापस नहीं पहुंचे. अब फरार कैदीयों को पुलिस ढूंढने में लगी हुई है, लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.

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गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए थे
बता दें कि जेल प्रशासन की ओर से इन कैदियों को रिहा करने के आदेश के बावजूद, इनमें से कई कैदी हत्या, डकैती और चोरी जैसे गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए थे, जो अब तक फरार हैं. अधिकारियों ने बताया कि भीड़भाड़ वाली जेलों में कोविड-19 वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, जेल नियमों के अनुसार सामान्य एक महीने की अवधि के बजाय, 2020 में इन कैदियों को तीन महीने की पैरोल दी गई थी. 

क्या है नियम?
हालांकि, पैरोल खत्म होने के बाद वे वापस नहीं लौटे. अब यह मामला देहरादून मुख्यालय तक पहुंच गया है, जिसने अधिकारियों को इन कैदियों को पकड़ने को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं. जेल नियमों के अनुसार, कैदियों को अधिकतम एक महीने के लिए पैरोल दी जा सकती है, जिसे करीबी पारिवारिक सदस्यों की मृत्यु या शादी जैसी विशेष परिस्थितियों में तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है. कुछ मामलों में लंबी अवधि की सजा काट रहे कैदियों को राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी से 14 दिनों तक की फरलो दी जा सकती है.

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उधम सिंह नगर के एसपी सिटी मनोज कत्याल ने कहा, 'विभाग ने भगोड़ों का पता लगाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. उन्हें पकड़ने और हिरासत में वापस लाने के लिए समर्पित पुलिस टीमें बनाई गई हैं.

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